2014 में गांधी जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धाजंली अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की नींव रखी थी। जिसके तहत समूचे भारत ने जगह-जगह स्वच्छता रखना और भारत को खुले में शौच से मुक्ति दिलवाने का संकल्प लिया था। बता दें की स्वच्छ भारत मिशन में दो प्रमुख घटक बनाए गए थे a) ग्रामीण, b) शहरी जिनके मुख्य उद्देश खुले में शौच को कम करना, अस्वच्छ शौचालयों में सुधार करना, हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करना, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था को सुदृढ़ करना और स्वच्छता के प्रति व्यवहार में बदलाव को प्रोत्साहित करना है। ऐसे में पिछले दस सालों में इस मिशन के तहत भारत की उपलब्धी पर नजर घुमाते हुए संकल्प को और भी मजबूत करने की हम सब की उम्मीद है।
‘स्वच्छ भारत मिशन’ का मुख्य फोकस खुले में शौच पर था, वहीं सरकार ने 2019 में भारत को “खुले में शौच मुक्त” घोषित किया। सरकार ने 507,587 शौचालयों के अपने लक्ष्य से 25 प्रतिशत अधिक, 636,826 शौचालयों का निर्माण पूरा कर लिया है। हालांकि विश्व बैंक के आँकड़े बताते हैं कि 11 प्रतिशत लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं। लेकिन वर्ष 2014 में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत के करीब था। आंकड़ों के अनुसार खुले में शौच की आदत मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र में अधिक देखी गई है। ग्रामीण भारत में 76 प्रतिशत की तुलना में शहरी केंद्रों में 95.6 प्रतिशत शौचालय उपलब्ध हैं।
बात दें, की इन्हीं आंकड़ों के साथ भारत सरकार ने अब गांवो को ODF प्लस (ओपन डेफिकेशन फ्री) करने का नया ध्येय सामने रखा है, जिस के तहत भारत के 93 प्रतिशत गांव पहले ही यह उद्दिष्ट साध्य किया है। सरकार कि ओर से वर्ष 2024-2025 में ग्रामीण क्षेत्र के लिए 7,192 करोड़ रुपये रखे गए थे, जबकि शहरी क्षेत्र के लिए 5,000 करोड़ रुपये रखे गए थे। इसी से सरकार स्वच्छ भारत मिशन के उद्दिष्टों को लेकर अब भी गंभीर दिखाई देती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, स्वच्छता सुविधाओं में सुधार ने एक व्यापक प्रभाव पैदा किया है, जहां जिला-स्तरीय शौचालय कवरेज 30 प्रतिशत या उससे अधिक बाल मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमी के साथ जुड़ा हुआ है। अध्ययन से पता चला कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत 30 प्रतिशत से अधिक शौचालय कवरेज वाले जिलों में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार जीवित जन्मों में 5.3 की कमी और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 6.8 की कमी देखी गई।