कुछ महीनों पहले तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन सनातन धर्म के अपमान करने के लिए चर्चा में थे। वहीं इस बार उदयनिधि स्टालिन ने ख्रिसमस से पूर्व आयोजित एक कार्यक्रम में अपने को एक ‘गर्वित ईसाई’ कहा है, जिसे सभी मान्यताओं के प्रति प्रेम और सन्मान है। वहीं स्टालिन ने भाजपा-एआईएडीएमके पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने का भी आरोप लगाया है और कहा कि वह केवल धार्मिक सद्भाव और सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं।
क्रिसमस से पहले एक ईसाई कार्यक्रम में बोलते हुए उदय स्टालिन ने कहा, “पिछले साल क्रिसमस के एक कार्यक्रम में मैंने कहा था कि मैं एक गर्वित ईसाई हूँ। इस बात ने कई संघियों को परेशान कर दिया। लेकिन मैं फिर से कह रहा हूँ, मैं एक गर्वित ईसाई हूँ।” उन्होंने आगे कहा, “अगर आपको लगता है कि मैं ईसाई हूँ, तो मैं ईसाई हूँ, अगर आपको लगता है कि मैं मुसलमान हूँ, तो मैं मुसलमान हूँ। अगर आपको लगता है कि मैं हिंदू हूँ, तो मैं हिंदू हूँ। मैं सभी के लिए समान हूँ।सभी धर्म हमें केवल प्रेम दिखाना सिखाते हैं।”
स्टालिन जूनियर ने कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर यादव के भाषण का उल्लेख किया और दावा किया कि न्यायाधीश मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली टिप्पणियाँ कर रहे थे। स्टालिन ने कहा, “हम सवाल करते हैं कि ऐसा व्यक्ति न्यायाधीश के पद पर कैसे रह सकता है। कोई भी उसकी अदालत में न्याय की उम्मीद कैसे कर सकता है?”
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आप को बता दें की, पिछले दिनों उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तूलना ‘डेंगू-मलेरिया’ से की थी। स्टालिन की इस बात पर देशभर से आलोचनाएं हुईं, कइयों ने इस बात नाराजगी जताते हुए निंदा भी की, जिसपर अपनी नफरत को बढ़ावा देकर स्टालिन ने कहा था की ‘सनातन धर्म को उखाड़ना मानवता को बनाए रखने के सामान है।”