भाजपा का अहसान मानने के बजाय निशाना बना रहे उद्धव ठाकरे

अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट से उम्मीदवार मुरजी पटेल का नामांकन वापस लेने पर किया हमला

भाजपा का अहसान मानने के बजाय निशाना बना रहे उद्धव ठाकरे

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अंधेरी उपचुनाव से हटी भाजपा का अहसान मानने की बजाय उद्धव ठाकरे  भाजपा पर तंज कसने में जुटे हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि हार के डर से भाजपा व शिंदे गुट मैदान छोड़ कर भाग गए हैं। अंधेरी उपचुनाव में आसन्न हार देख कर भाजपा भागी: उद्धव ने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट से उम्मीदवार मुरजी पटेल ने यह देखते हुए नामांकन वापस लिया है कि उपचुनाव में उनकी हार तय है।

उद्धव ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि मैंने उपचुनाव में पर्चा वापस लेने के लिए आग्रह नहीं किया। लेकिन मैं अपील क्यों करूं? मेरी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह जब्त किया गया। इतना करने के बाद भाजपा ने उम्मीदवार खड़ा किया और अब चुनाव मैदान छोड़कर भाग गई। फिर यह सब किया ही क्यों? केवल शिवसेना के साथ मानसिक छल और पार्टी को खत्म करने का उद्देश्य था। उद्धव ने कहा कि भाजपा के उम्मीदवार के नामांकन वापस लेने के बाद भी उपचुनाव के लिए 3 नंवबर को मतदान होगा। उपचुनाव में शिवसेना की ओर से ऋतुजा लटके मैदान में हैं। इस बीच उद्धव ने कहा कि मैं जल्द ही राज्य का दौरा शुरू करूंगा।

दूसरी तरफ ठाकरे गुट ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में दावा किया है कि ‘सुरक्षित मार्ग’ के बावजूद भाजपा को ‘शर्मिंदगी’ उठानी पड़ी। मराठी दैनिक के पहले पन्ने पर उपचुनाव पर लेख प्रकाशित है जिसका शीर्षक है, “अंधेरी से कमलाबाई भागी!” ठाकरे गुट ने भाजपा को ‘कमलाबाई’ बताया है, क्योंकि पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल है। अंधेरी पूर्व सीट पर उपचुनाव तीन नवंबर को होगा।

यहां से शिवसेना के विधायक रमेश लटके का इस साल की शुरुआत में निधन हो गया था। ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने पटेल को उम्मीदवार बनाया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता राज ठाकरे ने निर्विरोध चुनाव की वकालत की थी जिसके बाद भाजपा ने सोमवार को उपचुनाव से अपना उम्मीदवार हटा लिया इसके बाद मुकाबले में सात उम्मीदवार रह गए हैं, लेकिन ऋतुजा लटके की जीत पक्की मानी जा रही है।

‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है, “(भाजपा) उम्मीदवार का नाम वापस लेना उतना आसान नहीं है, जितना दिखता है। पराजय हो गई तो शिंदे-फडणवीस सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, यह उनके ध्यान में आया होगा। भाजपा को यह भी एहसास हो गया होगा कि शिवसेना (ठाकरे गुट) की जीत तय है।” इसमें यह भी दावा किया गया है कि भाजपा उम्मीदवार के नामांकन पत्र में कई खामियां सामने आने के बाद उनका नामांकन पत्र रद्द होने का खतरा था।

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