कनाडा पीएम जस्टिन ट्रुडो के बयान से उपजे विवाद के बाद तुर्की ने भी अपना पुराना रंग दिखाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78 वे सेशन में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थिरता और विकास के लिए कश्मीर में शांति स्थापित करना जरुरी है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव जब भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत होगी। बता दें कि इससे पहले भी तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के प्रति अपना प्रेम दिखा चुके हैं। जबकि भारत हर बार इस मामले को भारत का आंतरिक मामला बताता रहा है।
तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि कश्मीर में शांति के लिए जो भी कदम उठाये जाएंगे हम उसका समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता दी जाती है तो हम उसका समर्थन करेंगे। यूएनएससी में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है और यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि दुनिया पांच देशों से बड़ी है। गौरतलब है कि यूएनएससी में सिर्फ पांच देश ही ही स्थायी सदस्य है। जिनमें अमेरिका, चीन, फ़्रांस, यूके, रूस शामिल हैं।
गौरतलब है कि तुर्की कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर राग अलाप चुका है। तुर्की बार बार पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा है। यूएनएचआरसी की भी बैठक में भी तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा सलझाया जाए. जिसका जवाब देते हुए भारत ने कहा था कि यह भारत बका आंतरिक मामला है और इससे दूर रहें। बीते साल भी यूएन की आम सभा में उन्होंने कहा था यह विवाद लंबे समय से चला आ रहा है और इसे सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने से वहां का माहौल खराब हो गया है।
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