इस बार नेजा मेला 25, 26 और 27 मार्च को अलग-अलग स्थानों पर लगना था। मंगलवार को ढाल लगाई जानी थी। नेजा मेला से एक सप्ताह पहले ढाल और झंडा घंटाघर पर लगाया जाता है। नेजा मेला कमेटी ने सोमवार को इसकी घोषणा की तो एएसपी श्रीश्चंद ने कमेटी के पदाधिकारियों को कोतवाली बुला लिया।
करीब एक हजार वर्ष से आयोजित होने वाले संभल के नेजा मेले का आयोजन इस बार नहीं होगा। पुलिस की ओर से कानून व्यवस्था न बिगड़े इसको देखते हुए अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। यह दावा है धार्मिक नगर नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी का।
अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी का दावा है कि करीब एक हजार वर्ष से नेजे की ढाल लगाने और नेजा मेला करने की परंपरा चली आ रही है। अध्यक्ष ने बताया कि नेजा मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगता चला आ रहा है। हालांकि दूसरे समुदाय के द्वारा इसका विरोध कई वर्षों से लगातार किया जाता रहा है। एएसपी ने भी नेजा मेला कमेटी से स्पष्ट कहा है कि जिसने लूट की और हत्याएं की। उसकी याद में कोई भी आयोजन नहीं होने दिया जाएगा।
इस मेले के आयोजन के पीछे की वजह बताते हुए बताया कि संभल वर्ष 1015 के आसपास पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। कहा जाता है कि वर्ष 1030 के आसपास पृथ्वीराज चौहान के बेटे की नजर संभल के शेख पचासे मियां की बेटी पर पड़ गई थी। शेख पचासे मियां की बेटी शादी करना नहीं चाहती थीं इसलिए उन्होंने सैयद सालार मसूद गाजी को इसकी सूचना भेजी थी।
वह अपनी सेना के साथ संभल आए थे और पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था। जिसमें पृथ्वीराज चौहान की पराजय हो गई थी। कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि इस युद्ध में सैयद सालार मसूद गाजी के साथियों ने भी जान गंवाई थी। उनकी मजार संभल के आसपास बनाई गई हैं। उन्हीं मजार के आसपास मेले आयोजित किए जाते हैं।
संभल, शहबाजपुरा सूरा नगला और बादल गुंबद पर एक-एक दिन का मेला लगता है। पहले दिन शाहबाजपुर सूरा नगला में हजरत भोले शाह भोले के मजार पर नेजा मेले का आयोजन किया जाता है। अगले दिन नगर पालिका परिसर में हजरत अहमद शाह के मजार पर नेजा मेला लगता है। तीसरे दिन हसनपुर रोड स्थित बादल गुंबद पर मेला आयोजित होता है। इन तीनों ही स्थानों पर चादरपोशी कर दुआएं मांगी जाती हैं।
होली के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को नेजा मेले की ढाल और झंडा लगाए जाने की परंपरा रही है। होली के बाद पड़ने वाले दूसरे मंगलवार को शहबाजपुर सूरानगला का मेला लगता है। इस मेले के लिए होली के बाद का ही समय तय है। इसी परंपरा से यह मनाते रहे हैं। कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि होली के बाद ही नेजा मेला की ढाल लगती आ रही है और दूसरे मंगलवार से नेजा मेला लगता चला आ रहा है। यह परंपरा ही शुरुआत से होने की जानकारी है।
धार्मिक नगर नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी ने बताया कि नेजा मेला सय्यद सालार मसूद गाजी की याद में ही सदियों से लगता रहा है। इस बार भी मंगलवार को नेजा मेले की ढाल और झंडा लगाया जाता, लेकिन एएसपी ने सख्ती से मना कर दिया है। जबकि ढाल और झंडा लगाने के लिए 10 मार्च को एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया था।
हत्यारे और लुटेरे की याद में नेजा मेला लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर है। दूसरे समुदाय के लोगों ने इस आयोजन पर आपत्ति की है। इसके चलते अनुमति नहीं दिए जाने की जानकारी नेजा मेला कमेटी को दे दी गई है।
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