अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी के बाद उपजे कूटनीतिक तनाव पर अमेरिकी विदेश विभाग ने चुप्पी साध ली है। विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने साफ तौर पर कहा कि वे भारत की प्रतिक्रियाओं पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी। टैमी ब्रूस से मंगलवार (5 अगस्त) को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पत्रकार ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया टिप्पणी पर सवाल पूछा था। जवाब में उन्होंने व्यंग्य के लहजे में कहा, “मैं तो मुश्किल से यहां भी ऐसा कर पाती हूं।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया, “मैं किसी अन्य देश की इस टिप्पणी पर कोई राय नहीं दूंगी कि वे क्या करेंगे या क्या नहीं करेंगे।”
हालांकि ब्रूस ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीद पर अप्रत्यक्ष रूप से आलोचनात्मक टिप्पणी की और ट्रंप को मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि “रूस जो कर रहा है और वे देश जो यूक्रेन के खिलाफ इस युद्ध में मदद कर रहे हैं, तो यह राष्ट्रपति ट्रंप पर निर्भर करेगा कि वे कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।”
बता दें कि ट्रंप ने शुक्रवार (1 अगस्त )को एक चुनावी सभा में घोषणा की थी कि अगर भारत रूस से तेल खरीदता रहा और उन उत्पादों को फिर से बेचता रहा, तो वे भारत पर 24 घंटे के भीतर 25% या उससे अधिक टैरिफ लगाने से नहीं हिचकिचाएंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “भारत रूसी तेल खरीदकर उसकी युद्ध मशीन को ईंधन दे रहा है।”
इस बयान के बाद सोमवार (3 अगस्त) को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बिना ट्रंप का नाम लिए टिप्पणी की, “हम जटिल और अनिश्चित समय में जी रहे हैं। हमारी सामूहिक इच्छा एक निष्पक्ष और प्रतिनिधित्वपूर्ण वैश्विक व्यवस्था देखना है, न कि कुछ लोगों के प्रभुत्व वाली।”
विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय देशों की दोहरी नीतियों पर सवाल उठाते हुए बताया कि अकेले यूरोपीय संघ का रूस से व्यापार 67.5 अरब डॉलर का है, जबकि अमेरिका भी अब तक यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक और अन्य रसायनों की खरीद रूस से कर रहा है।
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