मुंबई। पहले विवादित बयान देने और विवाद बढ़ने पर यू टर्न लाने में माहिर शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने फिर एक बार यू टर्न लिया है। साकीनाका दुष्कर्म मामले में उत्तरभारतीय समाज पर निशाना साधने वाले राऊत ने अब इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। राऊत ने अन्य राज्यों से यहां आने वाले प्रवासियों का रिकॉर्ड रखने के राज्य पुलिस को दिए गए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्देश का विरोध करने के लिए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और दावा किया कि विपक्षी दल की नजरें अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और मुंबई महानरपालिका चुनावों पर हैं और इसलिए वह ‘बाहरी’ का कार्ड खेल रही है।
राऊत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोकटोक’ में कहा कि ठाकरे ने 13 सितंबर को शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान प्रवासियों का जिक्र करते हुए किसी खास राज्य का नाम नहीं लिया था, “लेकिन भाजपा ने घोषित कर दिया कि मुख्यमंत्री का आशय उत्तर भारतीयों से था। शिवसेना सांसद ने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि विभाजन की कोशिश है और ऐसे लोगों के खिलाफ मामले दर्ज होने चाहिए।” उन्होंने कहा कि मुंबई बांग्ला, उड़िया, असमिया, तमिल और तेलुगु भाषी लोगों का घर है और शहर के माटुंगा और धारावी इलाकों में दक्षिण भारतीयों का वर्चस्व है। वे खुद को कभी बाहरी नहीं बताते हैं। राऊत ने कहा, “देश एक होना चाहिए, लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य का विषय है। कार्रवाई करना राज्य सरकार का काम है।
ठाकरे का क्या मतलब है, यह समझे बिना, भाजपा ने उप्र विधानसभा और मुंबई निकाय चुनावों के दृष्टिगत बाहरी और प्रवासी कार्ड खेलना शुरू कर दिया।” उन्होंने कहा, “अगर भाजपा का प्यार उन बाहरी लोगों से है जो आतंकवादी गतिविधियों में मदद करते हैं, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार करते हैं और ‘भूमि पुत्रों’ के जीवन को दयनीय बनाते हैं, तो यह सही नहीं है।” शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र में ‘बाहरी’ की राजनीति करने वालों को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों से सबक सीखना चाहिए, जहां (तृणमूल कांग्रेस प्रमुख) ममता बनर्जी ने मोदी-शाह को हराने के लिए बंगाली गौरव का इस्तेमाल किया।