बिहार का बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह इन दिनों चर्चा में है। आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या का दोषी आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल खड़ा हो गया है। बिहार सरकार ने उम्रकैद की सजा पाए आनंद मोहन की रिहाई के आदेश दिया है। गौरतलब है कि 26 अप्रैल को आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद की सगाई है जबकि 3 मई को शादी है। बिहार सरकार ने कानून में बदलाव कर आनंद मोहन को रिहा करने की तैयारी में है। हालांकि सिंह अपने बेटे के शादी में शामिल होने के लिए 15 दिन के पैरोल पर है।
नीतीश कुमार को धन्यवाद: वहीं, आनंद मोहन सिंह ने अपनी रिहाई पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार द्वारा कानून में किया गया संशोधन सिर्फ मेरे लिए नहीं किया गया। मै उनका धन्यवाद करता हूं। कानून में बदलाव का विरोध होने के बाद सिंह ने गुजरात मामले का हवाला दिया है। उसने कहा कि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए लेकिन राजनीति गौरतलब है कि तेलंगाना के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया बिहार के गोपालगंज में डीएम पद थे। जिनकी 1994 में हाइवे पर भरी दोपहरी में राजनेताओं के भड़काने पर भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। जिसके आरोप में आनंद मोहन सिंह और अन्य को सजा हुई थी।
नीतीश सरकार ने नियमों में बदलाव किया: दरअसल, बिहार की नीतीश सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। बिहार सरकार की कैबिनेट की बैठक में हाल में बड़ा बदलाव किया गया है। इसके तहत किसी भी सरकारी अधिकारी की हत्या को साधारण हत्या माना जाएगा। इसकी वजह से उम्रकैद की सजा काट रहा आनंद मोहन को इस बदलाव का फ़ायदा मिला है।
27 दोषियों को रिहा किया जा सकता है: बता दें कि इस मामले में आनंद मोहन सिंह को मुजफ्फरपुर कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में ऊपरी अदालत ने उसे आजीवन कारावास में बदल दिया था। आनंद मोहन 14 साल की सजा काट चुके हैं। सबसे अहम बात यह कि बिहार सरकार अब नए नियम की आड़ में आनंद मोहन की रिहाई का प्लान बना चुकी है। इससे 27 दोषियों को रिहा किया जा सकता है।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का पोता: गौरतलब है कि, बाहुबली आनंद मोहन सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर सिंह तोमर का पोता है। जबकि उसका बेटा चेतन आनंद सिंह राष्ट्रीय जनता दल से विधायक है। वहीं, उसकी पत्नी लवली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर पार्टी से 2015 में चुनाव लड़ चुकी है,लेकिन वह हार गई थी। 1994 में लवली ने लोकसभा उप चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। सिंह 1990 से राजनीति में सक्रिय है। बताया जा रहा है कि सिंह को समय से पहले रिहा कराने के लिए नीतीश कुमार सरकार पर जनता दल यूनाइटेड के कई राजपूत नेताओं का दबाव बनाया गया है।
यह है रिहाई की वजह: बताया जा रहा है कि सिंह के रसूख को देखते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे उतारा जा सकता है। हालांकि, सिंह ने जेल से रिहा होने के बाद किस पार्टी में शामिल होगा इसका खुलासा अभी नहीं किया है। लेकिन कहा जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल दोनों का दरवाजा उसके लिए खुला हुआ है। मगर माना जा रहा है कि वह राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो सकता है। लालू यादव से उसका अच्छा संबंध है।
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