बजट सत्र के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान राहुल गांधी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा विश्व में भारत को लेकर सकारात्मकता ,आशा और भरोसा है। ये ख़ुशी की बात है कि भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है। यह भारत और 140 करोड देशवासियों के लिए गौरव की बात है। लेकिन लगाता है कुछ लोगों में इससे निराशा है। इस पर वे आत्मनिरीक्षण करें कि वे कौन से लोग हैं।
उन्होंने कहा कि भारत विश्वास और संकल्प से भरा हुआ है। मगर कुछ लोग निराशा में डूबे हुए हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने काका हाथरस की कुछ पंक्तियां भी संसद में सुनाई। जिसको सुनकर सत्ता पक्ष के सांसदों ने खूब ठहाके लगे। पीएम मोदी ने काका हाथरस की कविता के द्वारा विपक्ष पर निशाना साधा। तो आइये जानते हैं काका हाथरसी कौन है।
पीएम मोदी ने कहा हाथरसी की कविता कहा कि ‘आगा -पीछा देखकर क्यों होते गमगीन,जिसकी जैसी भावना वैसा दिखे सीन ..’
पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष में वैसे ही निराशा नहीं आई। बल्कि इसके पीछे के कारण है। वह कारण है जनता का हुकुम। बार बार हुकुम। साथ ही इस निराशा के पीछे अंतर्मन में पड़ी हुई चीज है जो चैन से सोने नहीं देती है। वह चीज क्या है ? पिछले दस साल यानी 2004 से लेकर 2014 तक देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई थी। निराशा नहीं होगी तो क्या होगी ? इसलिए जब कुछ अच्छा होता है तो निराशा उभकर आती है।
तो बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में जन्मे काका हाथरसी का असली नाम प्रभुनाथ गर्ग है। उनका जन्म 1906 में हुआ था। काका हाथरसी को हास्य रस और व्यंग्य कवि के तौर पर जाना जाता है। आज नए लेखक उनके नक्शेकदम पर चलकर श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन करते हैं। व्यंग्य का मूल उद्देश्य मनोरंजन करना ही नहीं बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों, असमानता, भ्रष्टाचार और राजनीति कुशासन का पर्दाफाश करना होता है। काका हाथरसी ने अपनी कविता में और व्यंग्य में इसका भरपूर इस्तेमाल किया है। काका हाथरसी ने की इस में महारत हासिल थी। उन्होंने समाज और देश में राजनीति कुशासन का अपनी कविता में खूब उपयोग किया है। एक दूसरी कविता की बानगी आप देख सकते हैं।
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