प्रशांत किशोर और राहुल गांधी को ‘पॉज़िटिव’ से इतनी नफरत क्यों ?

प्रशांत किशोर और राहुल गांधी को ‘पॉज़िटिव’ से इतनी नफरत क्यों ?

मुंबई। आजकल पोज़िटिव सोच को लेकर बड़ी- बड़ी बातें की जा रही हैं। सवाल यह कि क्या नकारात्मक सोच को लेकर दुनिया चल सकती है। साफ शब्दों में कहा जाये तो आजकल विपक्ष पीएम मोदी के सकारात्मक व्यवहार और बातों को लेकर हमलावर है। यहां सवाल है कि नकारात्मकता किसलिए और क्यों, क्या उसके फायदे होते हैं। स्टडी में कहा गया है कि सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति हर मुश्किल समय में आसानी से निकल जाते हैं। इतना ही नहीं इसके कई फायदे भी हैं जैसे खुद में विश्वास जगाना उन फायदों में से एक है।रविवार को कभी नरेंद्र मोदी के लिए काम करने वाले प्रशांत किशोर ने सकारात्मकता को ‘अंधभक्त’ से जोड़ा है। उन्होंने ट्वीट लिखा ” हमारे चारों ओर एक शोकग्रस्त राष्ट्र और त्रासदी मची हुई है, ऐसे में गलत प्रचार को आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास घृणित है, सकारात्मक होने के लिए हमें सरकार के अंधे प्रचारक बनने की जरूरत नहीं है”। क्या सकारात्मक होना ‘अंधभक्त’ होना है? कुछ दिन पहले भी राहुल गांधी ऐसी टिप्पणी की थी।राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया, ‘सकारात्मक सोच की झूठी तसल्ली स्वास्थ्य कर्मचारियों व उन परिवारों के साथ मजाक है, जिन्होंने अपनों को खोया है और ऑक्सीजन-अस्पताल-दवा की कमी झेल रहे हैं। रेत में सर डालना सकारात्मक नहीं, देशवासियों के साथ धोखा है।’

अब तक परिदृश्य में देखा जाये तो राहुल गांधी  सत्ता में रहते हुए कभी सकारात्मक सोच नहीं दिखाए और न ही कांग्रेस के सत्ता बेदखल होने बाद।एक नेता होने के नाते एक देश का नागरिक होने के नाते, एक शिक्षित व्यक्ति होने के नाते राहुल कभी समाज के प्रति अच्छी बातें नहीं कही राजनीति के लिए बात करना अलग बात हो सकती है।लेकिन राहुल गांधी कभी एक विजनरी नहीं दिखे।  सभी को समझ लेनी चाहिए की सकारात्मक सोच जिंदगी  मायने ही नहीं बदलती। भटके हुए को रास्ता भी दिखाती है। राहुल गांधी ही नहीं पूरी कांग्रेस भटकी हुई है। जब तक कांग्रेस और उसके नेता अपनी सोच नहीं बदलेंगे कांग्रेस कभी नहीं उबर पायेगी। रही प्रशांत किशोर की बात तो पीएम मोदी का चुनाव कैंपेन चाय पर चर्चा के बाद खाट पर चर्चा करके देख चुके हैं की  पॉज़िटिव सोच क्या रंग लाती है।

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