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Sunday, November 24, 2024
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आषाढ़ी वारी 2023: रुक्मिणी माता की पालकी का परभणी में प्रवेश !

राज्य भर से ​पालकी, जो आषाढी वारी के लिए निकल चुके हैं, पंढरपुर की ओर कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। इस बीच, श्री संत गजानन महाराज की पालकी बीड के परली कस्बे में और रुक्मिणी माता की पालकी परभणी जिले में पहुंच गई है। श्री संत गजानन महाराज पालखी सोमवार दोपहर परली पहुंचे हैं और आज रहेंगे।

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राज्य भर से पालकी, जो आषाढी वारी के लिए निकल चुके हैं, पंढरपुर की ओर कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। इस बीच, श्री संत गजानन महाराज की पालकी बीड के परली कस्बे में और रुक्मिणी माता की पालकी परभणी जिले में पहुंच गई है। श्री संत गजानन महाराज पालखी सोमवार दोपहर परली पहुंचे हैं और आज रहेंगे।

इस मौके पर पालकी समारोह में शामिल हुए श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए आकर्षक रंगोली बनाई गई। इस बीच परली स्थित थर्मल कॉलोनी के श्रद्धालुओं ने श्रद्धालुओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। दूसरी ओर रुक्मिणी माता की पालकी परभणी पहुंच गई है। इस अवसर पर परभणीकर ने पालकी में अतिथियों का स्वागत किया।

गजानन महाराज सोमवार को पालखी परली के थर्मल कॉलोनी स्थित श्रीराम मंदिर व न्यू हाई स्कूल स्कूल में ठहरे हुए थे| लिहाजा यह पालकी आज पूरे दिन परली नगरी में है और आज का ठहराव जगमित्र मंदिर में होगा| गण गण गण में बोते, विठ्ठल और मौली का नाम जपते हुए पालकी पहुंची। चिलचिलाती धूप में वारकरी का भगवा ध्वज, गले में ताल, पालकी पखवाजा की ताल में परली में प्रवेश कर गया है।

वारकरियों की 750 किलोमीटर की यात्रा: गजानन महाराज पालकी के साथ सात सौ वारकरी, तीन घोड़े, नौ गाड़ियां और एक एम्बुलेंस है। पालकी 27 जून को डिंडी के नौ जिलों से होते हुए पंढरपुर पहुंचेगी। शेगांव से पंढरपुर तक की पैदल यात्रा 33 दिन लंबी है और तीर्थयात्रियों को 750 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी। परली की सीमा पर श्री गजानन पालखी अ. भा. वारकरी मंडल की ओर से हाभप रामेश्वर महाराज कोकाटे ने स्वागत किया।
इस मौके पर श्रद्धालुओं के स्वागत में आकर्षक रंगोली बनाई गई। पालकी, मृदंगवादक, गायक, तालकरी और वारकरी महाराज मंडलियों का भी स्वागत किया गया। पालकी परली शहर के मुख्य मार्ग से होती हुई आगे बढ़ी। पर्लीकर इस बार पालकी का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। नागरिकों और व्यापारियों की ओर से इस पालकी को ढोया भी जा रहा है।
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