प्रयागराज। महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी बलबीर गिरि की चादर विधि के बाद बाघंबरी गद्दी के महंत के रूप में नियुक्त हो गए है। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने आशीर्वाद के साथ इसकी घोषणा श्रद्धांजलि सभा के बाद की। बाघंबरी गद्दी का महंत बनने के बाद बलबीर गिरि महाराज ने पत्रकारों से दुखी मन से कहा कि- ‘गुरुजी आसमान से देख रहे हैं। उनकी आकाशीय कृपा हम पर बनी रहेगी। ऐसा लगता है गुरुजी की आवाज यही आश्रम में गूंज रही है। प्रत्येक गुरु पूर्णिमा का मुझे इंतज़ार रहता था, मैं कहीं भी रहूं, उस दिन उनकी आरती उतारने और आशीर्वाद के लिए मठ जरूर पहुंचता था, अब गुरुजी की आरती केवल तस्वीरों में ही उतार पाऊंगा। इतना कहते हुए बलबीर गिरि की आंखें नम हो जाती है।
महंत नरेंद्र गिरि को याद करते हुए बलबीर गिरि खुद को संभालते हुए बताया कि उन्होंने अपने जीवन काल में सदैव गुरु की आज्ञा का पालन, संतों की सेवा करना सीखा है. वो जहां भी जाते थे, पहले उनकी अनुमति और आशीर्वाद लेते थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया की वो 16 साल की उम्र में उनकी शरण में आए थे। साल 2008 से लेकर 2013 तक पांच वर्ष लेटे हनुमान मंदिर में सेवा दी है। गुरुजी के आदेश और आशीर्वाद से वो हरिद्वार चले गए, आज मैं गुरुजी के आशीर्वाद से ही प्रकाश में आया हूं। महंत बलबीर गिरि महाराज ने कहा कि गुरु नरेंद्र गिरि महाराज ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौपीं है। निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज ने सभी महंतों को उपहार स्वरूप सोने चांदी के आभूषण भेंट किए।