पुरानी परंपरा और रीति-रिवाजों को तोड़ते हुए बिना किसी अंतिम संस्कार के अपनी मां के शरीर को दान करने का फैसला किया। महिला का शव नासिक के वसंतराव पवार मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया गया है। उन्होंने अपना शरीर दान कर समाज के सामने एक अनूठी मिसाल कायम की है।
सुगंधाबाई की श्रद्धांजलि सभा दि. 12 फरवरी को अपने पैतृक गांव चासनाली में यह कोपरगांव में आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर अंगदान आंदोलन के कार्यकर्ता सुनील देशपांडे (उपाध्यक्ष, अंग एवं शरीर दान संघ, मुंबई) ‘देहदान और अंगदान, समय की आवश्यकता’ विषय पर व्याख्यान देंगे। कृष्णा चंदगुडे ने कहा है कि वह उन लोगों के फॉर्म भरेंगे जो मरने के बाद शरीर दान करना चाहते हैं।
चंदगुडे परिवार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो समाज के लिए मिसाल कायम करते हैं। विधवापन की प्रथा को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा सर्कुलर जारी किए जाने के बाद सुगंधाबाई ने महाराष्ट्र में पहली बार इसे लागू किया। विधवा होते हुए भी उन्होंने टिकली मंगलसूत्र, जोड़वे पहना।
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