चाणक्य नीति: क्या स्वर्ग और धरती पर रहने वाले लोगों में समानता होती है? जानें

चाणक्य नीति: क्या स्वर्ग और धरती पर रहने वाले लोगों में समानता होती है? जानें
आचार्य चाणक्य की नीति हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। चाणक्य की कुछ नीतियां यहां बता रहे जो सबके लिए हितकर। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि कुछ चीजें स्वर्ग और नरक में रहने वाले देवताओं और पृथ्वी पर रहने वालों लोगों में पाए जाते हैं। उन्होंने कुछ जानवरों को कैसे काबू किया जा सकता है उसके बारे में भी बताया है। बता दें आचार्य चाणक्य  महान शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ थे। चाणक्य की लिखी बातें आज भी प्रासंगिक हैं।
स्वर्ग में निवास करने वाले देवता और धरती पर निवास करने वाले लोगों में कुछ समानता होती है। उनके समान गुण होते हैं। जैसे परोपकार,मीठे वचन, भगवान् की आराधना, ब्राह्मणों के जरूरतों की पूर्ति। वहीं , नरक में निवास करने वाले और धरती पर निवास करने वालों में भी यह समानता होती है। अत्याधिक क्रोध, कठोर वचन, अपने ही संबंधियों से शत्रुता ,अपने से नीच वाले लोगों से मैत्री ,हीन हरकते करने वालों की चाकरी।
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हाथी से हजार गज की दूरी बनाकर रखें। घोड़े से सौ की। सींग वाले जानवर से दस की। लेकिन दुष्ट जहा हो उस जगह से ही निकल जाए। इसके अलावा उन्होंने कुछ जानवरों को कैसे काबू किया जा सकता है। उसके बारे में भी बताया है। हाथी को अंकुश से नियंत्रित करें। घोड़े को थप थपाकर। सींग वाले जानवर को डंडा दिखाकर और एक बदमाश को तलवार से काबू किया जा सकता है।
आचार्य चाणक्य ने कुछ के अच्छे होने पर भी उनमें क्या कमियां उस के बारे में भी बताया है। उन्होंने कहा है कि शायद किसी ने ब्रह्माजी को जो इस सृष्टि के निर्माता है, को यह सलाह नहीं दी की वह है – सुवर्ण को सुगंध प्रदान करें। गन्ने के झाड को फल प्रदान करें। चन्दन के वृक्ष को फूल प्रदान करें। विद्वान् को धन प्रदान करें। राजा को लम्बी आयु प्रदान करें। उन्होंने अमृत को सबसे बढ़िया सबसे बढ़िया औषधि बताया है। इसके अलावा सभी इन्द्रियों में सबसे श्रेष्ठ इंद्री नेत्र को माना है। उन्होंने यह भी बताया है कि मस्तक शरीर के सभी भागों में श्रेष्ठ है।
Exit mobile version