हनुमान जन्मोत्सव: प्रयागराज के ‘लेटे हुए हनुमान’ मंदिर में भक्तों का तांता

संगम किनारे हनुमान जी के इस मंदिर में वह खड़े नहीं बल्कि लेटी हुई अवस्था में हैं।

हनुमान जन्मोत्सव: प्रयागराज के ‘लेटे हुए हनुमान’ मंदिर में भक्तों का तांता

देश भर में हनुमान जन्मोत्सव का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सुबह से ही हनुमान मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है। यूपी के प्रयागराज में भी सुप्रसिद्ध ‘लेटे हुए हनुमान’ मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई है। हर कोई हनुमान जी की प्रतिमा को एक झलक देखना चाहता है। भक्तों में इस प्रतिमा के प्रति अपनी अलग ही आस्था है। संगम के किनारे हनुमान जी की यह प्रतिमा खड़े नहीं बल्कि लेते हुए अवस्था में है।

संगम में स्नान के बाद कोई भक्त लड्डू, कोई बतासा तो कोई पेड़ा लेकर मंदिर पहुँचा। इस दौरान मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। भगवान हनुमान जी के यूं तो कई मंदिर देश में है लेकिन प्रयागराज के ‘लेटे हुए हनुमान’ मंदिर की प्रतिमा की अपनी खासियत है। दूर-दूर से लोग हनुमान जी की इस प्रतिमा को देखने आते है।

मान्यता है कि कोई भी जब संगम में स्नान के लिए आता है और यदि हनुमानजी के दर्शन नहीं करता तो यह स्नान अधूरी रह जाती है। लेटी हुई अवस्था में हनुमान जी की प्रतिमा की लंबाई 20 फुट है। कहा जाता है कि प्रतिमा के दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा है और बाएं पैर के नीचे कामदा देवी मौजूद हैं। अन्य प्रतिमाओं की तरह उनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा विराजमान है। ऐसा कहा जाता है कि जब लंका फतह के बाद सेना वापस लौट रही थी तो हनुमान जी को थकावट महसूस हुई। सीता माता के कहने पर वह यही लेट गए। यही वजह है कि संगम किनारे लेटे हुए हनुमान जी मंदिर की स्थापना की गई।

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