प्रयागराज में महाकुंभ मेले को ‘अंधविश्वास’ बताने वालों की कुटाई, अपमानजनक पोस्टर फाड़े, जलाया अपमानजनक साहित्य!!

3 मिनट का वीडिओ वायरल

प्रयागराज में महाकुंभ मेले को ‘अंधविश्वास’ बताने वालों की कुटाई, अपमानजनक पोस्टर फाड़े, जलाया अपमानजनक साहित्य!!

In Prayagraj, those who called the Maha Kumbh Mela a 'superstition' were beaten up, insulting posters were torn and books were burnt

प्रयागराज महाकुंभ के दौरान कुछ नागा साधुओं और हिंदू श्रद्धालु ने, तथाकथित आचार्य प्रशांत के ‘कार्यकर्ताओं’ द्वारा महाकुंभ मेले को ‘अंधविश्वास’ बताने वाले पोस्टर लहराने पर भड़ककर कुटा। बताया जा रहा है कि, यह घटना मकर संक्रांति (15जनवरी) की है। 

वायरल हो चुके 3 मिनट के वीडियो में कुछ लोग पोस्टर पकड़े हुए दिख रहे हैं, जिस पर लिखा है, “कुंभ अंधविश्वास का मेला है, यह तो बस बहाना है। अगर आजादी चाहिए तो समझ जगाओ।” वहीं ये कार्यकर्ता माइक से भी ऐसी ही बातें कह रहे थे। लेकिन ‘तर्कवाद’ के नाम पर हिंदू विरोधी प्रचार कर रहे इनके इस कदम को वहां मौजूद नागा बाबाओं ने देख लिया। यह सुनते ही नागा साधु वहां जमा हो गए और पोस्टर पर लिखी बातें देखकर सभी भड़क उठे। इसके बाद पूरा सेट-अप तहस-नहस कर दिया गया।

इस बीच कुछ लोगों ने दुष्प्रचार करने वालों की सारी सामग्री कर उसे आग लगा दी। हालांकि नागा साधुओं ने वह पोस्टर अपने पास रख लिया जिसमें महाकुंभ को ‘अंधविश्वास’ बताया जा रहा था। वीडियो बनाने वाले लोगों में से एक ने कहा कि वह यह पोस्टर ‘योगी बाबा’ को दिखाया जाएगा। हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने और महाकुंभ का दुष्प्रचार करने के लिए दुष्ट प्रवृत्तियां महाकुंभ में तक आने को तैयार है।

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जहां के तरफ प्रयागराज की पावन धरती पर हिंदू आस्था को निशाना बनाने का दुस्साहस करने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए नागा बाबाओं की सोशल मीडिया पर तारीफ हो रही है, वहीं दूसरी तरफ आचार्य प्रशांत के अनुयायियों ने इस वाकिए को दुष्प्रचार और पूर्वनियोजित हमला बताने की कोशिश की है। उनका दावा है की उनकें किसी भी वॉलेंटियर ने ये पोस्टर नहीं बनाया था, इसे किसी महिला ने बनाकर वहां छोड़ा था। हालांकि सवाल अभी भी बना हुआ है, की अगर ऐसा है तो इसे पहले क्यूँ नहीं फाड़ा गया। साथ ही आचार्य प्रशांत के कार्यकर्त्ता ये दावा भी कर रहें है की जो किताबें जलाई गई है वो धार्मिक किताबें थी, हालांकि किताबें धार्मिक नहीं होती, शास्त्र धार्मिक होतें है।

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