सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया डॉ.भीमराव आंबेडकर सभागार का उद्घाटन!

सरसंघचालक 15 और 16 अप्रैल को सेवा विभाग से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इन बैठकों में पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, और परिवार मूल्यों जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया डॉ.भीमराव आंबेडकर सभागार का उद्घाटन!

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सोमवार (14 अप्रैल) को नवनिर्मित संघ भवन और डॉ. भीमराव आंबेडकर सभागार का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में सदियों से चले आ रहे आपसी मतभेदों और स्वार्थों ने विदेशी आक्रांताओं को यहां पांव पसारने का मौका दिया।

सभा को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ” संघ केवल अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए काम करता है, देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए काम करता है।” भागवत ने विशाल जनसमूह की ओर देखते हुए कहा,” यहां उत्सव का वातावरण कई बार आया, लेकिन इतनी भीड़ कभी नहीं देखी।”

उन्होंने आगे कहा कि अपने समाज में लोग पिछले दो हजार वर्षों से आपसी स्वार्थों में लगे रहे, आपसी मतभेद भी रहे। इसके कारण विदेशी आक्रांताओं ने हमको पीटा और फायदा भी उठाया। संघ समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलता है और यह कार्यालय समाज में चल रहे अच्छे कार्यों को जोड़ने का केंद्र बनेगा। जनसभा की बड़ी उपस्थिति पर बोलते हुए भागवत ने कहा,”यहां उत्सव का वातावरण कई बार आया, लेकिन इतनी भीड़ कभी नहीं देखी। यह समाज की एकता और जागरूकता का प्रतीक है।”

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “बाबासाहेब को जीवन में बड़ी विषमताओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने बचपन से ही विषमता झेली, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उनका संपूर्ण जीवन समाज को जोड़ने के प्रयास में ही बीता।” उन्होंने कहा कि संघ समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलता है, और नव निर्मित संघ भवन इसी एकजुटता के प्रयासों को केंद्रित और संगठित करने का माध्यम बनेगा।

सरसंघचालक 15 और 16 अप्रैल को सेवा विभाग से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इन बैठकों में पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, और परिवार मूल्यों जैसे विषयों पर चर्चा होगी। विशेष रूप से 17 अप्रैल को प्रांत कार्यकारिणी की बैठक में संघ शताब्दी वर्ष की दिशा में संघ के ‘पंच परिवर्तन’ – नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली, सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्य और स्वबोध – पर कार्यों की समीक्षा की जाएगी।

कार्यक्रम में बताया गया कि चार मंजिल का यह संघ भवन आधुनिक निर्माण तकनीक और पारंपरिक मूल्यों का मेल है।
भवन में एक विशाल पुस्तकालय, बेहतर वेंटिलेशन व्यवस्था, और प्राकृतिक रोशनी का विशेष ध्यान रखा गया है, जिससे दिन के समय लाइट जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बेसमेंट में पार्किंग की सुविधा भी दी गई है।

मोहन भागवत के इस दौरे को संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें संगठन समाज के विविध आयामों में गहन जुड़ाव और आत्मविश्लेषण के माध्यम से आगे बढ़ रहा है।

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