उज्जैन में महाकवि कालिदास की परिकल्पना साकार

 रूद्र सागर झील का किया गया है पुनर्विकास  

उज्जैन में महाकवि कालिदास की परिकल्पना साकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार क़ो मध्य प्रदेश क़े उज्जैन में महाकाल लोक का उद्घाटन किया. उन्होंने इस दौरान कहा कि भगवान शंकर क़े सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है. सब कुछ अलौकिक है असाधारण और अविश्वसनीय है।  पीएम मोदी ने  856 करोड़ की लागत वाली यह भव्य महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना श्री महाकाल लोक का उद्घाटन किया। यह परियोजना 2017 में स्मार्ट सिटी के तहत शुरू की गई थी।
पीएम मोदी ने महाकालेश्वर और उज्जैन नगरी का बखान करते हुए कहा कि यहां 84 शिवलिंग ,चार महावीर ,छह विनायक ,आठ भैरव , अष्ट मातृक , नवग्रह , दस विष्णु ,ग्यारह रूद्र ,12 आदि , 25 देवियों और 88 तीर्थ हैं। जिनके केंद्र में महाकाल विराजमान हैं।
उन्होंने कहा कि महाकाल नगरी प्रलय के प्रहार से मुक्त है। यह वह जगह है जहां भगवान कृष्ण ने शिक्षा ली थी। पीएम मोदी ने कहा कि उज्जैन भारत की आस्था का केंद्र रहा है। महाकाल हमारी तपस्या और आस्था से प्रसन्न होते हैं। उनके आशीर्वाद से काल की रेखाएं भी मिट जाती हैं। पीएम  मोदी ने कहा कि उज्जैन नगरी के कण कण में आध्यात्म समाया हुआ है। यहां हर कोने कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित होती है। उज्जैन वह नगर है जो हजारों सालों से सम्पन्नता,  ज्ञान गरिमा और साहित्य का नेतृत्व किया है।
 उन्होंने कहा कि उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का प्रताप देखा है। उन्होंने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। उज्जैन वह नगरी है जो सात पुरियों में से एक है। महालोक की खासियत बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस नवनिर्मित कॉरिडोर में 108 स्तंभ हैं। जबकि यह 910 मीटर में फैला हुआ है।महाकवि कालिदास ने मेघदूत में इस महाकाल की परिकल्पना की है। जिसे यहां साकार किया गया है। कॉरिडोर में पुरानी रूद्र सागर झील को भी पुनर्विकास किया गया है। बता दें कि महाकाल कॉरिडोर इसी झील के चारों ओर फैला हुआ है।
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