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Saturday, December 27, 2025
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थिरुप्परंकुंड्रम दीपथून पर दीप प्रज्वलन की अनुमति से इनकार करने पर हिंदू श्रद्धालु की आत्महत्या!

डीएमके सरकार की निर्दयता पर पर उठे सवाल

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तमिलनाडु के मदुरै में गुरुवार (18 दिसंबर) को भगवान मुरुगन के एक श्रद्धालु ने राज्य सरकार द्वारा थिरुप्परंकुंड्रम पहाड़ी पर कार्तिगै दीपम जलाने की अनुमति न दिए जाने के विरोध में आत्मदाह कर लिया। मृतक की पहचान नरीमेडु क्षेत्र के निवासी लगभग 40 वर्षीय पूर्णा चंद्रन के रूप में हुई है। उन्होंने पेरियार प्रतिमा के पास खुद को आग लगा ली, गंभीर रूप से झुलसने के बाद उनकी मौत हो गई।

रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्णा चंद्रन ने आत्मदाह से पहले अपने एक मित्र को वॉयस मैसेज भेजा था, जिसे बाद में परिवार के साथ साझा किया गया। संदेश में उन्होंने थिरुप्परंकुंड्रम पहाड़ी पर पारंपरिक ‘दीपथून’ पर पवित्र दीप जलाने की अनुमति न मिलने पर अपना जीवन समाप्त करने की बात कही थी। संदेश में उन्होंने पेरियार के नास्तिक विचारों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि उनके इस कदम से अगले वर्ष यह धार्मिक अनुष्ठान संभव हो सकेगा।

मृतक के भाई रामदुरै ने मीडिया को इस संदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि पूर्णा चंद्रन नियमित रूप से सथुरगिरी जैसे पवित्र स्थलों पर जाया करते थे, लेकिन उन्होंने कभी इस तरह के चरम कदम के संकेत नहीं दिए थे। वे पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं। रामदुरै के अनुसार, पूर्णा चंद्रन सुबह काम के लिए घर से निकले थे और शाम को परिवार को फोन आया कि उन्होंने खुद को आग लगा ली है। भाई ने कहा, “उसने अपने दोस्त को एक वॉयस मैसेज भेजा था, जिसने वह मुझे भेज दिया और तभी मुझे इसका पता चला। उसने कथित तौर पर कहा था कि वह थिरुप्परंकुंड्रम में दीपम जलाने की अनुमति न देने के कारण आत्मदाह करने जा रहा है।”

इस घटना के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष नैनार नागेन्द्रन ने डीएमके सरकार की निर्दयता पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्णा चंद्रन ने आत्मदाह इसलिए किया क्योंकि वह “डीएमके सरकार के हिंदू-विरोधी रुख, विशेष रूप से थिरुप्परंकुंड्रम पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित दीप थून पर पवित्र कार्तिगै दीपम जलाने की अनुमति न देने से गहरे आहत थे।” उन्होंने श्रद्धालुओं से शांति बनाए रखने, संयम बरतने और इस तरह के चरम कदम न उठाने की अपील की।

थिरुप्परंकुंड्रम पहाड़ी मदुरै में भगवान मुरुगन के छह पवित्र आवासों (अरुपड़ै वीडु) में से एक है। पहाड़ी के नीचे प्राचीन अरुलमिगु सुब्रमणिया स्वामी मंदिर स्थित है, जबकि शिखर पर सिकंदर बदुशाह दरगाह नामक एक मुस्लिम धार्मिक स्थल बनाया गया है, स्थानिकों के अनुसार यह दरगाह कब्ज़ा कर बनाया गया है।

भाजपा नेता के. अन्नामलई ने शोक व्यक्त करते हुए कहा की, ” भगवान मुरुगा के एक सच्चे भक्त, थिरु पूर्णा चंद्रन, DMK सरकार के हिंदू विरोधी रवैये से बहुत दुखी थे, खासकर तिरुपरनकुंड्रम पहाड़ी के ऊपर दीपा थून पर भक्तों को पवित्र कार्तिकई दीपम जलाने की इजाज़त न देने के कारण, उन्होंने आज मदुरै में आत्मदाह करके दुखद रूप से अपनी जान दे दी। इस दिल दहला देने वाली खबर से मुझे बहुत दुख हुआ है। मैं उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि उन्हें इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति मिले।”

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हिंदू श्रद्धालुओं और याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि कार्तिगै दीपम को दरगाह के पास स्थित प्राचीन दीपथून स्तंभ पर जलाया जाना एक ऐतिहासिक परंपरा रही है। 1 दिसंबर 2025 को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्त (एचआरएंडसीई) विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिर प्रशासन को आदेश दिया था कि सामान्य स्थानों के अलावा दीपथून पर भी दीप प्रज्वलित किया जाए।

हालांकि, राज्य की डीएमके सरकार ने इस आदेश के बावजूद वहां दीप जलाने की अनुमति नहीं दी और हिंदू श्रद्धालुओं को स्थल तक पहुंचने से रोका, हिंदुओ ने जब विरोध किया तब उसे दबाने के लिए बल प्रयोग किया गया। प्रशासन ने केवल उचिपिल्लैयार मंदिर मंडपम में दीप जलाया। सरकार का तर्क रहा कि यही लंबे समय से चली आ रही परंपरा है, दीपथून पर दीप जलाने से कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है, और यह स्तंभ जैन कालीन संरचना (समण दीपथून) है, जिसका कार्तिगै दीपम से कोई संबंध नहीं है।

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील भी दायर की है। गुरुवार (18 दिसंबर) को हुई सुनवाई में डीएमके सरकार के वकील ने हिंदुओं को उस स्थान पर पवित्र दीप जलाने की अनुमति देने का कड़ा विरोध किया।

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