हमारे वेद-पुराण ज्ञानों का खजाना हैं। भारत की विरासत ज्ञान से समृद्ध है। कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनकी नीति और बातें आज भी हमारे लिए हर समय उपयोगी होती हैं। विदुर जी की नीतियां चाणक्य नीति की तरह आज भी प्रासंगिक हैं। महाभारत में विदुर की बुद्धिमत्ता के कायल सभी थे। विदुर ने हस्तिनापुर के हित में कई अहम फैसले लिए थे। आज हम महाराज विदुर की नीतियों के बारे में बता रहे हैं जो हमारे जीवन की कई समस्याओं को दूर करने सहायता करेगी। महात्मा विदुर ने बताया है कि कैसे कर्म करने वाले व्यक्ति को कई पीढ़ियों को नरक के दुख झेलने पड़ते है। इसके आलावा खुशहाल जीवन के भी टिप्स दिए हैं जिसे अपना कर लोग खुशी पूर्वक जीवन यापन कर सकते हैं।
विदुर के अनुसार पशु को लेकर झूठ बोल जाने पर पांच, गाय को लेकर दस, घोड़े को लेकर सौ और मनुष्य को लेकर झूठ बोलने पर एक हज़ार पीढ़ियां नर्क की भागी बन जाती है। वहीं, जो व्यक्ति सोने अर्थात स्वर्ण के लिए झूठ बोल जाते हैं वह अपनी आगे और पीछे की पीढ़ियों को नर्क का भागी आसानी से बना देता है। भूमि या स्त्री को पाने के लिए जो व्यक्ति झूठ का सहारा लेता है और वह अपना सर्वनाश कर बैठता है। यही नहीं, पूजा-पाठ न करना किसी का अपहरण या भगाकर विवाह करना, वेदों का अनादर करना और धर्म का पालन न करने से भी परिवार का सम्मान नष्ट हो जाता है। उधर जो मनुष्य दूसरों के गुणों में दोष ढूंढता है, अन्यों के धार्मिक स्थानों को अपवित्र करें, कड़वी बातें करने वाला निर्दयी और दुष्ट होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में कई कष्ट भोगने पड़ जाते हैं। दूसरी ओर, जिस मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, वह सदैव पाप ही करता है। वहीं पुण्य कर्म करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है।
धर्म की राह पर चलें
एको धर्म: परम श्रेय: क्षमैका शान्तिरुक्तमा।
विद्वैका परमा तृप्तिरहिंसैका सुखावहा ॥
अर्थ – महात्मा विदुर ने बताया है कि जो व्यक्ति हमेशा धर्म की राह पर चलता है तो वह कभी कुछ बुरा नहीं कह सकता। इसका मतलब साफ है कि अगर आपको जीवन में सुख-शांति चाहिए तो धर्म की राह पर अवश्य चलें क्योंकि इससे ना सिर्फ आपका भला होगा बल्कि दूसरों का भी कल्याण होगा। याद रखें कि जो भी व्यक्ति सफल होता है वह अपने जीवन में खूब गलतियां करता है। लेकिन समझदार व्यक्ति वही कहलाता है जो खुद की गलती को क्षमा कर और उससे कुछ सीखकर अपने जीवन में आगे बढ़ता चला जाए।
यह सत्य है कि किसी की गलती पर मन में गांठ बांध लेने से हमेशा संबंध खराब होते हैं और आप खुद के साथ-साथ दूसरों को भी दुखी रखते हैं। ऐसे में क्षमा भाव सर्वोच्च माना जाता है। वाकई में व्यक्ति का सबसे बड़ा धन उसका ज्ञान ही होता है। ऐसे व्यक्ति जो किसी लालच के बिना अपने ज्ञान से ही हमेशा संतोष रखा करते हैं तो जान लें कि संसार में उनसे ज्यादा कोई सुखी नहीं होता है। ज्ञान होने पर ही व्यक्ति सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है, क्योंकि अज्ञानता तो अंधकार के समान माना जाता है। वहीं, जो भी व्यक्ति हमेशा शांति के साथ अहिंसा की राह पर चलता हुए अपना जीवन व्यतीत करता है, वह हमेशा सबसे सुखी रहता है। साथ ही ऐसे व्यक्ति का जीवन हमेशा प्रेम भाव के साथ-साथ अच्छे कामों में व्यतीत होता है।