नवरात्री में मुंबई के इन मंदिरों में करे देवी मां के दर्शन

नवरात्रि को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह

नवरात्री में मुंबई के इन मंदिरों में करे देवी मां के दर्शन

भारत में देवी शक्ति की पूजा विभिन्‍न रूपों में की जाती है। उत्‍तर भारत में स्थित मां वैष्‍णों देवी को लेकर लोगों में काफी आस्‍था है तो वहीं पश्चिम बंगाल में मां काली की पूजा की जाती है। इसी प्रकार महाराष्ट्र के मुंबई शहर में भी देवी के कई रूप पूजे जाते हैं, सोमवार, 26 सितंबर से नवरात्रि शुरू हो रही है। नवरात्रि को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। माता के मंदिरों व दरबारों को सजाने-संवारने का काम चल रहा है। देवी मंदिर पर नवरात्रि में काफी संख्या में श्रद्धालु देवी मां के दर्शन व पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। यहां विशेष रौनक देखने को मिलती है। दिनभर इन मंदिरों में कार्यक्रम चलते हैं, सुबह और शाम श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है। हालांकि आज हम आपको मुंबई में बसे ऐसे देवी के मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां पर नवरात्रि के दौरान भक्तजन देवी माता के दर्शन कर सकते है।  

मुंबादेवी मंदिर- कालबादेवी मुंबादेवी को मुंबई की मूलदेवी के रूप में जाना जाता है। बता दें कि मुंबई का नाम मुंबादेवी के नाम पर रखा गया था। दरअसल मुंबादेवी मुंबई के प्रथम निवासी कोली समुदाय की आराध्य देवी हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर में पाठ के साथ-साथ नवमी पर हवन किया जाता है।  

महालक्ष्मी मंदिर- महालक्ष्मी मंदिर की स्थापना 1785 में हुआ था। यह मुंबई के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में तीन देवी महालक्ष्मी, कालिका और महासरस्वती की मूर्तियाँ हैं। चका चौंध से भरपूर यह मंदिर भक्तों को आकर्षित करती हैं।  

जीवदानी मंदिर- इस मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है, दरअसल पुराणो के अनुसार यह मंदिर बहुत पुराना है। इस मंदिर को पांडवो ने अपने वनवास के समय में बनाया था। मान्यता है कि पांडवों ने एक वीर गुफा में एक साथ मिलकर माता की स्थापना किए थे। माता के दर्शन करने के लिए भक्तजनों को 1300 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है।  

शीतलादेवी मंदिर- मुंबई के सात द्वीपों में से एक माहिम में शितलादेवी माता का एक सुंदर मंदिर स्थित हैं। कोली समुदाय की देवी शितलादेवी का मंदिर साढ़े तीन सौ साल पुराना है। इस मंदिर की खासियत है कि यहाँ के मंदिर में देवी की मूर्ति पत्थर में खुदी हुई है। साथ ही मूर्ति को चांदी के मुखौटे से ढका गया है।  

हरबादेवी मंदिर- टाटोले झील के आसपास हरबादेवी मंदिर को आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1966 में हुई थी। नवरात्रि के पावन अवसर पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भरकर भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर को लेकर लोगों में मान्यता और आस्था है।  

इन सभी मंदिरों को लेकर भक्तों में एक गहरी आस्था होती है जिस वजह से नवरात्रि के पावन अवसर पर सभी भक्तगन यहाँ मंदिरों में दर्शन के लिए आते है। अपनी मनोकामना स्वरूप भगवान को पूजते है। नवरात्रि में इन मंदिरों को लेकर भक्तों में कई आस्था और मान्यताएं होती है। ‘माता का बुलावा’ इसी सोच के साथ सभी भक्त मंदिर पहुंचते है।

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