भारत और पाकिस्तान के बीच खेल संबंध एक बार फिर ठंडे पड़ गए हैं। एशिया कप से हटने के कुछ ही महीनों बाद अब पाकिस्तान ने भारत में होने वाले जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप से भी अपना नाम वापस ले लिया है। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) ने शुक्रवार, 24 अक्टूबर को इसकी आधिकारिक पुष्टि की और कहा कि पाकिस्तान की जगह किसी अन्य टीम का नाम जल्द ही घोषित किया जाएगा।
FIH के अनुसार, पाकिस्तान को इस वर्ल्ड कप में भारत, चिली और स्विट्ज़रलैंड के साथ एक ही ग्रुप में रखा गया था। टूर्नामेंट का आयोजन 28 नवंबर से 28 दिसंबर तक चेन्नई और मदुरै में होना है। इससे पहले राजगीर (बिहार) में आयोजित एशिया कप से भी पाकिस्तान ने अंतिम समय पर सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अपना नाम वापस ले लिया था, जिसके बाद बांग्लादेश को उसकी जगह शामिल किया गया था।
पाकिस्तान का भारत में लगातार दो बड़े हॉकी टूर्नामेंटों से हटना, दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनयिक और सुरक्षा तनाव से जोड़ा जा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) में 26 नागरिकों की मौत और उसके बाद भारत की ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई ने रिश्तों में और तनाव भर दिया है।
पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन (PHF) के अध्यक्ष राणा मुजाहिद ने कहा कि एशिया कप के दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान टीम से हाथ मिलाने से इनकार किया था। जो द्विपक्षीय खेल संबंधों की खटास को दर्शाता है।
हालांकि, हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलिप तिर्की ने पहले कहा था कि पाकिस्तान चाहे तो वह जूनियर वर्ल्ड कप में बाद में भी शामिल हो सकता है। “हम पाकिस्तान का इंतज़ार नहीं करेंगे, लेकिन स्वागत के दरवाज़े हमेशा खुले रहेंगे।” यह बयान भारत के उस संतुलित रुख को दिखाता है जिसमें वह खेल को राजनीति से ऊपर रखने की कोशिश कर रहा है।
FIH ने पीटीआई को बताया कि पाकिस्तान के हटने के बाद भी टूर्नामेंट अपने पूरे प्रारूप में जारी रहेगा। नई टीम का ऐलान जल्द किया जाएगा ताकि किसी भी ग्रुप में टीमों की संख्या असमान न रहे।
पाकिस्तान की अनुपस्थिति भले ही चर्चा का विषय हो, लेकिन अब ध्यान बाकी टीमों पर केंद्रित है जो इस 24-टीम जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने आ रही हैं। यह टूर्नामेंट उभरते खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को साबित करने का बड़ा मौका माना जाता है।
भारत सरकार ने हाल ही में द्विपक्षीय खेल संबंधों पर सीमित नीति को औपचारिक रूप दिया है, हालांकि बहुराष्ट्रीय आयोजनों में दोनों देशों की मौजूदगी पर रोक नहीं है। अब सबकी निगाहें चेन्नई और मदुरै पर होंगी, जहां युवा खिलाड़ी दिसंबर में हॉकी के इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में दमखम दिखाने उतरेंगे, भले ही पड़ोसी देश मैदान से गायब हो।
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