‘द अदर साइड ऑफ डिप्लोमेसी’: जीवन साथियों का जीवन रंगीन, लेकिन चुनौतीपूर्ण जीवन!

पश्चिमी देशों में राजनयिकों के जीवन साथियों को कभी-कभी मजाक में ‘डिप्लोमैटिक बैगेज’ कहा जाता है, लेकिन भारतीय राजनयिकों की पत्नियां जहां भी जाते हैं, वहां भारत की ताकत और संस्कृति का प्रचार करते हैं।   

‘द अदर साइड ऑफ डिप्लोमेसी’: जीवन साथियों का जीवन रंगीन, लेकिन चुनौतीपूर्ण जीवन!

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अक्सर लोग राजनयिकों के जीवन साथियों को केवल औपचारिक आयोजनों में पकवान बनाने और मेहमाननवाजी तक सीमित मानते हैं, लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है। भारत के ये ‘अनौपचारिक राजनयिक’ संकट के समय असाधारण साहस दिखाते हैं।
1965 के युद्ध के दौरान, एक राजनयिक की गर्भवती पत्नी, जो अपने छोटे बच्चे के साथ ढाका में नजरबंद थीं, ने पहले गुप्त दस्तावेज जला दिए और फिर पाकिस्तानी अधिकारियों को सख्ती से समझाया कि वे उचित व्यवहार करें।

पश्चिमी देशों में राजनयिकों के जीवन साथियों को कभी-कभी मजाक में ‘डिप्लोमैटिक बैगेज’ कहा जाता है, लेकिन भारतीय राजनयिकों की पत्नियां (और कभी-कभी पति) जहां भी जाते हैं, वहां भारत की ताकत और संस्कृति का प्रचार करते हैं।

वे आम जनता से सीधे जुड़ते हैं: चाहे बाजार में खरीदारी करते हुए, स्थानीय समुदायों के बीच रहकर या भारतीय संस्कृति का प्रसार करके। जबकि राजनयिक सरकारी दफ्तरों और चर्चाओं तक सीमित रहते हैं, उनके जीवनसाथी सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

राजनयिक जीवन की अनसुनी कहानियां: जयश्री मिश्रा त्रिपाठी द्वारा लिखित “द अदर साइड ऑफ डिप्लोमेसी” (वेस्टलैंड नॉन-फिक्शन, 184 पृष्ठ, मूल्य 599 रुपये) इस अनदेखे पहलू को खूबसूरती से उजागर करती है। चार महाद्वीपों में समय बिता चुकीं एक राजनयिक की पत्नी के रूप में, जयश्री लिखती हैं कि राजनयिकों के जीवनसाथियों की कहानियां अक्सर अनसुनी रह जाती हैं, जबकि वे कई बार अनजानी परिस्थितियों में रहकर चुनौतियों का सामना करते हैं।

15 राजनयिक परिवारों की यादें और अनुभव: इस किताब को तैयार करने में वर्षों लगे और इसमें 15 राजनयिक जीवन साथियों (दो पति और कुछ बेटियां भी शामिल) के अनुभवों को संजोया गया है। इसमें 1960 के दशक का अमेरिका और सोवियत संघ, विकासशील चीन, और नेल्सन मंडेला, स्पेन के राजा जुआन कार्लोस तथा रॉबर्ट मुगाबे जैसी हस्तियों से मुलाकात की दिलचस्प कहानियां शामिल हैं।

शशि थरूर, जो खुद एक पूर्व राजनयिक और लेखक हैं, अपनी प्रस्तावना में लिखते हैं कि “पहली नजर में यह किताब केवल राजनयिक परिवारों के अनुभवों का संग्रह लग सकती है, लेकिन असल में यह राजनयिक जीवन के अनकहे पहलुओं को उजागर करने वाली गहन और रोचक रचना है।”

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों की झलकियां: किताब में ब्राजील की शांत और सुरम्य जिंदगी से लेकर बगदाद की तनावपूर्ण गलियों, वियना के सांस्कृतिक माहौल से लेकर वॉशिंगटन के राजनीतिक केंद्र, और उत्तर कोरिया, इथियोपिया, जिम्बाब्वे जैसे जटिल देशों के अनुभवों तक की झलकियां मिलती हैं।

कूटनीति का असली मतलब: यह किताब बताती है कि राजनयिक जीवन केवल बाहरी चमक-धमक तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें धैर्य, समर्पण और कठिन परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता की जरूरत होती है।

कुछ दिलचस्प किस्सों में शामिल हैं: इथियोपिया में भारतीय राजदूत के घर पर राष्ट्रीय दिवस के जश्न में देर से पहुंचे मेहमानों की दिलचस्प घटना। पंडित रवि शंकर और उनके साथियों के लिए बीजिंग में भारतीय खाना बनाना, जबकि मेजबानों के पास इसका कोई अनुभव नहीं था।

एक प्रेरणादायक दस्तावेज: अंततः, यह किताब केवल यादों का संग्रह नहीं, बल्कि राजनयिक जीवन की वास्तविकताओं का जीवंत दस्तावेज है। यह दिखाती है कि कैसे इन परिवारों ने चुनौतियों का सामना किया और भारतीय संस्कृति व पहचान को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित किया।

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