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Sunday, December 28, 2025
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ‘दो विधान-दो प्रधान’ से मुक्ति का लिया संकल्प: तरुण चुघ!

आज भी बांग्‍लादेश में रह रहे अल्‍पसंख्‍यकों की स्थिति दयनीय है, जहां हिंदू- सिख-ईसाई अल्पसंख्यकों का अनुपात 25 प्रतिशत से घटकर अब करीब दो प्रतिशत रह गया है। यह बहुत चिंताजनक है।"

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केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर रविवार को देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए। जम्मू-कश्मीर में प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा के नेतृत्व में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ बताया कि कार्यक्रम में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को याद किया गया। उन्होंने ‘दो विधान-दो प्रधान-दो निशान’ से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया था।

चुघ ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि भाजपा के संस्‍थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती भाजपा पूरे देश में हर बूथ पर मना रही है। उन्होंने ज‍म्‍मू-कश्‍मीर को “दो विधान-दो प्रधान-दो निशान’ से मुक्ति दिलाई।

उन्होंने इस संघर्ष की शुरुआत की और एक संकल्प लिया जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाकर पूरा किया। श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक ऐतिहासिक कार्य शुरू किया था। लियाकत अली समझौते के दौरान मुखर्जी ने कहा था कि बांग्‍लादेश में रह रहे अल्‍पसंख्‍यकों की सुरक्षा को लेकर उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्‍तीफा दिया था।
आज भी बांग्‍लादेश में रह रहे अल्‍पसंख्‍यकों की स्थिति दयनीय है, जहां हिंदू- सिख-ईसाई अल्पसंख्यकों का अनुपात 25 प्रतिशत से घटकर अब करीब दो प्रतिशत रह गया है। यह बहुत चिंताजनक है।”

उन्‍होंने बिहार में महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि आज भी राज्य की जनता लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली सरकार के “जंगलराज” को याद कर डर जाती है। उस समय लालू यादव का परिवार राज्‍य की जनता को डराता और धमकाता था।

उनके शासनकाल में चारा घोटाले जैसे कांड हुए। उस दौरान बिहार में कानून-व्‍यवस्‍था चरमरा गई थी, आए दिन लूटपाट और दुष्‍कर्म की घटनाएं सामने आती थीं।

वहीं, अमरनाथ यात्रा पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा, “बाबा बर्फानी को देखने के लिए अमरनाथ यात्रा में दुनिया भर से लोग आ रहे हैं। पूरा प्रशासन तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। यह निस्संदेह एक ऐतिहासिक तीर्थयात्रा है।”

 
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