मुंबई। विधान परिषद की राज्यपाल कोटे वाली सीटों पर नियुक्त को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल किए हैं। कोर्ट ने शुक्रवार को पूछा कि आखिर अभी तक इस बारे में फैसला क्यों नहीं हो सका। इसको लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा कि राज्य मंत्रिमंडल ने 6 नवंबर 2020 को विधान परिषद के लिए 12 व्यक्तियों के नामों की सिफारिश राज्यपाल से की थी, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक निर्णय क्यों नहीं लिया? अदालत ने कहा कि कैबिनेट की सिफारिशों के मुताबिक नियुक्तियों का फैसला क्यों नहीं लिया जाता?
विधान परिषद में मनोनीत सदस्यों के बारे में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय नहीं लेने पर नासिक के रहने वाले रतन सोली ने एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति शाहरुख काथावाला व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका पर राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को दो सप्ताह में भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राज्यपाल के सचिव को प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी है।मामले पर अगली सुनवाई 9 जून को होगी। राज्यपाल की तरफ से नियुक्त होने वाले 12 विधान परिषद सदस्यों की जगह अभी भी रिक्त है। राज्य कैबिनेट ने 6 नवंबर 2020 को राज्यपाल से 12 नामों की सिफारिश की थी, हालांकि 6 माह गुजर जाने के बावजूद अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ। इस मामले में सत्तारुढ़ महाविकास आघाड़ी के नेताओं की तरफ से कई बयान भी दिए गए।
नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद इस पर अहम बयान दिया था। उनका कहना था कि राज्यपाल की तरफ से नियुक्त 12 जगह रिक्त होने से संवैधानिक दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है। विधानमंडल ने समितियों का गठन किया है, लेकिन इसमें मनोनीत सदस्यों की जगह रिक्त होने से भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। यह सवाल पैदा हो गया है कि इन समितियों का कामकाज संवैधानिक है या असंवैधानिक। इसके बाद राज्यपाल ने सरकार को पत्र लिखकर सवाल किया था कि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव कब होंगे। सरकार और राज्यपाल के खिलाफ संघर्ष में हाईकोर्ट में यह याचिका बेहद अहम हो गई है।