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Sunday, December 7, 2025
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रूस-यूरोप तनाव में भारत के शांति प्रयासों की जर्मनी ने की सराहना!

आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ जर्मनी

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जर्मनी ने बुधवार (3 सितंबर) को भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन करते हुए कहा कि बर्लिन, नई दिल्ली के साथ मजबूती से खड़ा है। साथ ही, जर्मनी ने रूस और यूरोप के बीच चल रहे तनाव में भारत की शांति स्थापित करने वाली भूमिका की भी सराहना की। भारत दौरे पर आए जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल (Johann Wadephul) ने यह बयान दिया। वे दो दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं और बेंगलुरु से नई दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ अहम चर्चाएं कीं।

वेडफुल ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जब बात आती है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करता है, तो जर्मनी आपके साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।” उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात में यूक्रेन में शीघ्र शांति समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया, जो हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मुझे पता है कि हर बार भारत और जर्मनी की राय पूरी तरह एक जैसी नहीं होती, लेकिन यही कारण है कि मैंने आज इस बात का समर्थन किया कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों का उपयोग यूरोप में शांति लौटाने के लिए करे। मैं यहां हुई खुली बातचीत के लिए आभारी हूं।”

भारत- जर्मनी रिश्तों पर जोर

जर्मन मंत्री ने कहा कि एशिया में भारत की भूमिका उतनी ही अहम है जितनी यूरोप और यूरोपीय संघ में जर्मनी की है। उन्होंने माना कि दोनों देशों की अपनी राजनीतिक प्राथमिकताएं और स्थितियां अलग हो सकती हैं, लेकिन लोकतांत्रिक सिद्धांतों और नियामक मानकों के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता उन्हें करीब लाती है।

इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी दोनों देशों के रिश्तों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे कई देशों के साथ रणनीतिक रिश्ते हैं और आज की वैश्विक राजनीति का यही स्वभाव है कि हर रिश्ते को बनाए रखा जाए और उसे सर्वोत्तम स्तर पर लाया जाए। ऐसे में जर्मनी, चाहे एक देश के रूप में हो या यूरोपीय संघ के सबसे बड़े सदस्य के रूप में, हमारी वैश्विक रणनीति और संबंधों के केंद्र में है।”

भारत और जर्मनी के बीच यह संवाद ऐसे समय हो रहा है जब यूक्रेन युद्ध और बदलते वैश्विक समीकरणों ने कूटनीतिक चुनौतियों को और जटिल बना दिया है। ऐसे में दोनों लोकतांत्रिक राष्ट्रों का एक-दूसरे के करीब आना, अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर अहम असर डाल सकता है।

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