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मध्य प्रदेश: खाँसी की दवा से 11 बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर गिरफ्तार, तमिलनाडु की कंपनी पर भी मुकदमा दर्ज!

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मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले में ज़हरीली खाँसी की दवा से 11 बच्चों की मौत के मामले ने सनसनी फैला दी है। शनिवार देर रात पुलिस ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया, जिन्होंने बच्चों को यह संदिग्ध खाँसी की दवा ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldrif) लिखी थी। इसके साथ ही तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी पर भी केस दर्ज किया गया है, जो इस दवा का निर्माण करती है।

अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस ने डॉक्टर सोनी और कंपनी संचालकों के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(A) तथा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएँ 105 और 276 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। यह कार्रवाई परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अंकित साहलम की शिकायत पर की गई।

जाँच में सामने आया है कि डॉक्टर सोनी ने जिन बच्चों का इलाज किया था, उनमें से अधिकांश को उन्होंने यही कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया था। शुक्रवार को आई लैब रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस सिरप में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol – DEG) पाया गया, यह एक अत्यंत विषैला रसायन है, जो शरीर में जाने पर किडनी फेलियर और मौत तक का कारण बन सकता है।

राज्य सरकार ने शनिवार को ही कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। छिंदवाड़ा में पहले 9 और बाद में 2 और बच्चों की मौत के बाद यह कार्रवाई की गई। ड्रग कंट्रोल विभाग की जाँच रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के कांचीपुरम ज़िले में स्थित Sresun Pharmaceuticals द्वारा निर्मित यह बैच “ग़ैर-मानक और दोषपूर्ण (Non-Standard Quality – NSQ)” पाया गया। यह रिपोर्ट 2 अक्टूबर को तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल निदेशालय द्वारा जारी की गई थी।

राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि कोल्ड्रिफ सिरप के सभी मौजूदा स्टॉक को तत्काल सील किया जाए और आगे की बिक्री या निस्तारण पर रोक लगाई जाए। साथ ही कंपनी द्वारा निर्मित अन्य उत्पादों पर भी अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया है।

केंद्र सरकार भी इस मामले को लेकर गंभीर है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और ड्रग कंट्रोल अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं, जिसमें कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग और दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा होगी।

इस घटना ने एक बार फिर दवा निर्माण में लापरवाही और निगरानी तंत्र की कमज़ोरियों को उजागर किया है। ज़हरीले केमिकल की इतनी अधिक मात्रा का मिलना न केवल निर्माता कंपनी की लापरवाही का संकेत है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली की चेतावनी देने वाली विफलता भी। राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तर पर अब इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।

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