अमेरिका ने पाकिस्तान को उन्नत एयर-टू-एयर मिसाइलें बेचने की खबरों को सिरे से खारिज किया है। अमेरिकी दूतावास (US Embassy) ने शुक्रवार (10 अक्तूबर) को एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान को किसी भी नई Advanced Medium-Range Air-to-Air Missiles (AMRAAMs) की आपूर्ति नहीं की जा रही है। दूतावास ने साफ कहा कि यह अनुबंध केवल “sustainment and spares” यानी रखरखाव और पुर्जों की आपूर्ति के लिए है, और इससे पाकिस्तान की मौजूदा सैन्य क्षमता में कोई वृद्धि नहीं होगी।
अमेरिकी दूतावास ने अपने बयान में लिखा, “प्रशासन यह स्पष्ट करना चाहता है कि झूठी मीडिया रिपोर्ट्स के विपरीत, इस कॉन्ट्रैक्ट में पाकिस्तान को किसी नए AMRAAM मिसाइल की आपूर्ति शामिल नहीं है। यह सिर्फ मेंटेनेंस सपोर्ट के लिए है, न कि किसी क्षमता वृद्धि के लिए।” बयान में आगे कहा गया कि हालिया मीडिया रिपोर्ट्स ने “कॉन्ट्रैक्ट के मकसद और दायरे को गलत तरीके से पेश किया या बढ़ा-चढ़ाकर बताया है।”
पिछले कुछ दिनों में कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने यह रिपोर्ट की थी कि अमेरिका पाकिस्तान को AIM-120 AMRAAM मिसाइलें देने जा रहा है, जिससे उसकी F-16 लड़ाकू विमानों की क्षमता बढ़ जाएगी। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि यह सौदा दक्षिण एशिया के हवाई संतुलन को प्रभावित कर सकता है और यह कदम इस्लामाबाद और वाशिंगटन के संबंधों में सुधार का संकेत है, खासतौर पर भारत-पाक तनाव के बीच। हालांकि, अमेरिकी दूतावास के बयान ने इन सभी अटकलों पर पूर्णविराम लगा दिया।
दूतावास के अनुसार, 30 सितंबर 2025 को अमेरिका के Department of War (युद्ध विभाग) ने एक नियमित सूची जारी की थी, जिसमें Foreign Military Sales (FMS) से जुड़े कई देशों के कॉन्ट्रैक्ट अपडेट शामिल थे। इस सूची में पाकिस्तान के लिए “सस्टेनमेंट आइटम्स” का उल्लेख था, जिनका उद्देश्य मौजूदा रक्षा प्रणालियों का रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति है, न कि कोई नया हथियार बेचना।
दूतावास ने यह भी कहा कि ऐसे कॉन्ट्रैक्ट नोटिफिकेशन अमेरिका की रक्षा खरीद प्रणाली की मानक प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जिन्हें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक रूप से जारी किया जाता है। इसमें कई देशों से जुड़ी जानकारी एक साथ दी जाती है ताकि यह स्पष्ट रहे कि कौन-सा सौदा नई आपूर्ति है और कौन मेंटेनेंस के तहत आता है।
अमेरिकी स्पष्टीकरण ने यह साफ कर दिया है कि वॉशिंगटन दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को बदलने वाला कोई कदम नहीं उठा रहा, और यह कि भारत की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखकर ही इस तरह की किसी भी डिलीवरी से परहेज किया गया है।
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