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Tuesday, December 9, 2025
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पूर्व CIA अधिकारी का दावा: परवेज़ मुशर्रफ ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को सौंपा!

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पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरीआकू (John Kiriakou) ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने देश के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को दे दिया था। किरीआकू के अनुसार, वाशिंगटन ने उन्हें करोड़ों डॉलर की आर्थिक मदद और सैन्य सहायता देकर खरीद लिया था।

किरीआकू ने CIA में 15 वर्ष तक काम किया और पाकिस्तान में आतंकवाद-रोधी अभियानों के प्रमुख रहे, ने ANI को दिए इंटरव्यू में अमेरिका की पाकिस्तान नीति, सऊदी अरब के प्रभाव और दक्षिण एशिया में बदलते शक्ति समीकरणों पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा, “अमेरिका को तानाशाहों के साथ काम करना पसंद है। वहां आपको जनमत या मीडिया की चिंता नहीं करनी पड़ती। हमने बस मुशर्रफ को खरीद लिया।”

किरियाकू के अनुसार, मुशर्रफ के शासनकाल में वाशिंगटन को पाकिस्तान की सुरक्षा और सैन्य गतिविधियों पर लगभग असीमित पहुंच हासिल थी। उन्होंने बताया, “हमने करोड़ों डॉलर की आर्थिक और सैन्य सहायता दी और मुशर्रफ ने हमें जो चाहा करने दिया।”

हालांकि, पूर्व CIA अधिकारी ने यह भी कहा कि मुशर्रफ दोहरा खेल खेल रहे थे एक तरफ वे सार्वजनिक रूप से अमेरिका के सहयोगी बने रहे, जबकि गुप्त रूप से पाकिस्तान की सेना और उग्रवादियों को भारत के खिलाफ सक्रिय रहने दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी सेना को अल-कायदा से नहीं, बल्कि भारत से दुश्मनी थी। मुशर्रफ अमेरिका के साथ आतंकवाद विरोधी साझेदारी का दिखावा करते हुए भारत के खिलाफ आतंक फैलाते रहे।”

सऊदी अरब ने AQ खान को बचाया

किरियाकू ने खुलासा किया कि अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान (AQ Khan) को खत्म करने की योजना बना रहा था, लेकिन सऊदी अरब के हस्तक्षेप के बाद यह योजना रद्द कर दी गई। उन्होंने कहा, “अगर हम इज़राइल की तरह काम करते, तो हमने उसे खत्म कर दिया होता। लेकिन सऊदी आए और कहा, ‘उसे छोड़ दो, हम उसके साथ काम कर रहे हैं।’”

किरियाकू के अनुसार, व्हाइट हाउस ने इसके बाद CIA और IAEA को AQ खान के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया, क्योंकि सऊदी अरब ने उसके पक्ष में दबाव डाला था। उन्होंने संकेत दिया कि यह सऊदी अरब की अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं से जुड़ा हो सकता है। उन्होंने हालिया सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि रियाद अब अपने पुराने निवेश का लाभ उठाने की स्थिति में है।

अमेरिका की दोहरी नीति पर निशाना

किरियाकू ने अमेरिकी विदेश नीति की पाखंडपूर्ण प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा, “हम लोकतंत्र और मानवाधिकारों के चैंपियन होने का दिखावा करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हम वही करते हैं जो उस दिन हमारे हित में हो।” उन्होंने कहा कि अमेरिका और सऊदी अरब का रिश्ता पूरी तरह लेन-देन आधारित है। “हम उनका तेल खरीदते हैं और वे हमारे हथियार खरीदते हैं,” उन्होंने कहा। एक सऊदी गार्ड के हवाले से उन्होंने याद किया, “तुम हमारे किराए के सिपाही हो। हमने तुम्हें यहां आने और हमारी रक्षा करने के लिए पैसे दिए हैं।”

इंटरव्यू के अंत में उन्होंने कहा कि वैश्विक शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है। सऊदी अरब, चीन और भारत अब अपने रणनीतिक हितों को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। उनके शब्दों में, “हम तेल के समंदर पर बैठे हैं, अब हमें सऊदी की जरूरत नहीं। सऊदी अरब भी अब चीन और भारत से संबंध मजबूत कर रहे हैं। दुनिया की व्यवस्था बदल रही है।” इस खुलासे ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था, अमेरिका की नीतियों और दक्षिण एशिया की रणनीतिक राजनीति पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

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