महाराष्ट्र में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों को लेकर चल रही अनिश्चितता के बीच नागपुर खंडपीठ के फैसले ने पूरे चुनाव को नई दिशा दे दी है। हाई कोर्ट के आदेशनुसार, राज्य की सभी नगर परिषदों और नगर पंचायतों के नतीजे अब 21 दिसंबर को एक साथ घोषित किए जाएंगे, भले ही कुछ क्षेत्रों में मतदान पहले ही क्यों न पूरा हो गया हो। करता का फैसला एक याचिका पर आया जिसके अनुसार, करीब 20 नगर परिषदों में मतदान कानूनी विवादों के चलते विलंबित हुआ है। ऐसे में यदि अलग-अलग तारीखों पर परिणाम घोषित किए जाते तो चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठते। अदालत ने माना कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक ही दिन नतीजे घोषित करना आवश्यक है। हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चुनाव आयोग पर नाराज़ी से भरे बयान भी सामने आए है।
उच्च न्यायालय यह भी कहा कि 20 दिसंबर को मतदान समाप्त होने के आधे घंटे बाद एग्ज़िट पोल जारी किए जा सकते हैं। इस तारीख तक आचार संहिता प्रभावी रहेगी। जिन क्षेत्रों में चुनाव रद्द हुए थे, वहां के प्रत्याशी अपने मौजूदा चुनाव चिन्हों का उपयोग जारी रख सकेंगे। हालांकि, अदालत ने उन प्रत्याशियों की मांग ठुकरा दी जिन्होंने दावा किया था कि लगातार देरी से उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है और इसलिए खर्च सीमा बढ़ाई जानी चाहिए थी।
फैसले के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनावी प्रक्रिया पर कड़ा असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि लगातार टालमटोल और नतीजों में देरी जैसी स्थिति उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। फडणवीस ने कहा कि यह असंतोष चुनाव आयोग के प्रति नहीं है, बल्कि पूरे चुनावी तंत्र में मौजूद खामियों के प्रति है, जिनकी वजह से स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हुए हैं। उन्होंने इसे एक असामान्य और चिंताजनक स्थिति बताया और जल्द से जल्द सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया।
अब जबकि हाई कोर्ट ने अंतिम तिथि तय कर दी है, पूरे राज्य में प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के बीच लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता समाप्त होने की उम्मीद है। सभी निकायों के नतीजे 21 दिसंबर को एक साथ आने से चुनावी माहौल में स्पष्टता लौटेगी और राज्य इन स्थानीय चुनावों के निष्कर्ष की दिशा में एक कदम आगे बढ़ेगा।
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