लखनऊ/मुंबई। दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है, पंडित नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक सभी का संबंध उत्तरप्रदेश से रहा है, जब प्रधानमंत्री बनने की बात आई तो लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके नरेंद्र मोदी को भी उत्तरप्रदेश का ही सहारा लेना पड़ा। प्रधानमंत्री पद के लिए प्रमुखता से उत्तरप्रदेश से ही कई नाम रहे, एक बार फिर बीजेपी के अंदरखाने सियासी गलियारों में घमासान मचा है, जिससे अटकलों का दौर चल पड़ा है, पर क्या ये सियासी घमासान 2022 को टारगेट कर हो रहा है या फिर 2024 की केंद्रीय राजनीति का प्लॉट तैयार हो रहा है।
राजनीति में राजनेता दूर की सोचकर निर्णय लेते हैं, शह-मात का खेल चलता रहता है और अचानक से कोई विजयी की भूमिका में सामने आ जाता है, सियासी चर्चाओं के बीच उत्तर प्रदेश में चुनावी वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। जीत कैसे मिले इस पर काम चल रहा है,रणनीतिक तैयारियों के तहत बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष और यूपी प्रभारी राधामोहन सिंह की रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंच चुकी है।
राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मिलते हैं फिर बाहर आकर बताते हैं कि शिष्टाचार मुलाकात थी, उसी दिन वे विधानसभा अध्यक्ष से भी मिलते हैं और उसे पुराने संबंधों के आधार पर की गई मुलाकात बताते हैं, विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित कहते हैं कि दोनों नेताओं में राष्ट्रवाद और प्राचीन इतिहास पर बात हुई है, एक दिन में दो संवैधानिक पदों पर बैठे हुए व्यक्तियों से मुलाकात के गहरे मायने हो सकते हैं।