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Monday, December 29, 2025
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मार्गरेट रामथार्सिएम: पीएम मोदी की पहल ने मेरा जुनून बढ़ाया!

​पीएम मोदी ने कहा कि इसी नजरिए की वजह से, वह एक हैंडीक्राफ्ट आर्टिस्ट से लोगों की जिंदगी बदलने का जरिया बन गईं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मणिपुर के चुराचांदपुर जिले की मार्गरेट रामथार्सिएम के प्रयासों की बात की। उन्होंने कहा, “मणिपुर के चुराचांदपुर की मार्गरेट रामथार्सिएम की कोशिशें भी इसी तरह की हैं। उन्होंने मणिपुर के पारंपरिक प्रोडक्ट्स, हैंडीक्राफ्ट और बांस और लकड़ी से बनी चीजों को एक नजरिए से देखा।”

पीएम मोदी ने कहा कि इसी नजरिए की वजह से, वह एक हैंडीक्राफ्ट आर्टिस्ट से लोगों की जिंदगी बदलने का जरिया बन गईं। आज, मार्गरेट की यूनिट में 50 से ज्‍यादा आर्टिस्ट काम करते हैं, और अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने देश के कई राज्यों में, जिसमें दिल्ली भी शामिल है, अपने प्रोडक्ट्स के लिए एक मार्केट बनाया है।”

इसी कड़ी में मार्गरेट रामथार्सिएम ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म जूम के जरिए साक्षात्‍कार में अपने अनुभव साझा किए और बडे बेवाकी से सवालों के जवाब दिए। उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी की पहल ने आदिवासी पारंपरिक पहनावे और हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के मेरे जुनून को मजबूत किया है। रामथार्सिएम के साक्षात्‍कार के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं…।

सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में आपके काम को हाईलाइट किया। क्या यह पारंपरिक हस्तशिल्प को टिकाऊ रोजगार में बदलने के उनके लोकल-टू-ग्लोबल विजन को दिखाता है?

जवाब: हां, बिल्कुल। हम इसे अपने क्लाइंट्स में देखते हैं, जो भारत और विदेश दोनों जगह के हैं। अपने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करने के बाद, हमें एहसास हुआ कि ये पारंपरिक हस्तशिल्प ग्लोबल मार्केट तक कैसे पहुंच सकते हैं, जिससे असली आर्थिक मौके बनते हैं।

सवाल:आपने मणिपुर के पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट को रोजगार में बदल दिया है, जिससे 50 से ज्‍यादा कारीगरों को रोजगार मिला है। क्या प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन ने आपको इस काम को बड़े पैमाने पर करने और इसे औपचारिक रूप देने के लिए प्रोत्साहित किया है?

जवाब: हां। मैं हमेशा से आत्मनिर्भर बनना चाहती थी, और आत्मनिर्भर भारत विजन मुझे और ज्‍यादा काम करने, ज्‍यादा स्थानीय कारीगरों को शामिल करने और हमारे समुदायों में आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की ऊर्जा और प्रेरणा देता है।

सवाल:आपके प्रोडक्ट अब पूरे भारत के बाजारों तक पहुंचते हैं। क्या यह दिखाता है कि सरकारी नीतियां कारीगरों को राष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने में प्रभावी ढंग से मदद कर रही हैं?

जवाब: बिल्कुल। पहले कई स्थानीय कारीगरों को कोई नहीं जानता था। आज, सरकारी प्लेटफॉर्म के जरिए, उन्हें जिला, राज्य, राष्ट्रीय और यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल रही है।

सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात में जिक्र किए जाने से, क्या यह पहचान जमीनी स्तर के उद्यमियों और कारीगरों का आत्मविश्वास बढ़ाती है?

जवाब: हां, निश्चित रूप से। मेरे लिए भी, इसने मेरे आत्मविश्वास और ऊर्जा को बढ़ाया है ताकि मैं अपने काम को बड़े पैमाने पर कर सकूं और आने वाले दिनों में और ज्‍यादा हासिल कर सकूं।

सवाल: प्रधानमंत्री मोदी अक्सर आर्थिक अवसर पैदा करते हुए संस्कृति को संरक्षित करने के बारे में बात करते हैं। क्या आपको लगता है कि उनका नेतृत्व भारत के हैंडीक्राफ्ट सेक्टर को एक नई पहचान और दिशा दे रहा है?

जवाब: हां। मैं अपने आदिवासी पूर्वजों के पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट को अपग्रेड और आधुनिक बना रही हूं, जिनका अभ्यास सैकड़ों साल पहले किया जाता था। मैं अपनी संस्कृति को संरक्षित कर रही हूं और साथ ही इसे एक स्थायी रोजगार व्यवसाय में बदल रही हूं।

सवाल: अपने अनुभव के आधार पर, पारंपरिक कलाओं को मजबूत करने और कारीगरों के लिए स्थायी आय सुनिश्चित करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल कितनी प्रभावशाली हैं?

जवाब: उनकी पहलों ने आदिवासी पारंपरिक पहनावे और हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के मेरे जुनून को मजबूत किया है। यह हमें अपनी परंपराओं को संरक्षित करने के साथ-साथ आय भी कमाने का मौका देता है, जिसे मैं स्थायी रोजगार कहूंगी। सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि कई स्थानीय कारीगर भी हमारे आदिवासी शिल्प और विरासत को बढ़ावा देने के लिए उत्साहित और प्रेरित हैं।​ 

 
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