केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही (Q4) में अल्पकालिक फंडिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म ट्रेजरी बिल (T-Bills) के माध्यम से ₹3.84 लाख करोड़ जुटाने की योजना की घोषणा की है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार (29 दिसंबर) को जारी बयान में कहा कि यह उधारी 12 सप्ताह में की जाएगी, जिसमें साप्ताहिक नीलामी ₹29,000 करोड़ से ₹35,000 करोड़ के बीच रहेगी।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित राशि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में जुटाए गए ₹3.94 लाख करोड़ की तुलना में ₹10,000 करोड़ कम है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (Q3), जो 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हुई, के लिए ₹2.47 लाख करोड़ के ट्रेजरी बिलों का नीलामी कैलेंडर पहले ही जारी किया था।
बयान में स्पष्ट किया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ परामर्श कर सरकार को नीलामी की राशि और समय-सीमा में बदलाव का लचीलापन रहेगा। यह लचीलापन सरकार की वास्तविक फंडिंग जरूरतों, बदलती बाज़ार स्थितियों और अन्य प्रासंगिक कारकों के आधार पर इस्तेमाल किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि ऐसे किसी भी बदलाव की उचित अग्रिम सूचना बाज़ार को दी जाएगी।
सरकार ने यह भी रेखांकित किया कि घोषित कैलेंडर परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनीय है। उदाहरण के तौर पर, बीच में आने वाली छुट्टियों या अन्य प्रशासनिक कारणों से नीलामी कार्यक्रम में संशोधन किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, Q4 में शॉर्ट-टर्म उधारी का स्तर अपेक्षाकृत नियंत्रित रखना सरकार की कैश-फ्लो मैनेजमेंट रणनीति को दर्शाता है। पिछले वर्ष की तुलना में कम उधारी से संकेत मिलता है कि सरकार अल्पकालिक देनदारियों को संतुलित रखते हुए ब्याज दरों और तरलता पर अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहती।
ट्रेजरी बिल आमतौर पर 91-दिन, 182-दिन और 364-दिन की परिपक्वता वाले होते हैं और इन्हें सरकार की अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है। इनकी नीलामी RBI द्वारा आयोजित की जाती है और बैंक, प्राथमिक डीलर तथा अन्य संस्थागत निवेशक इनमें भाग लेते हैं।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि सरकार बाजार स्थितियों पर करीबी नजर बनाए रखेगी और आवश्यकता पड़ने पर उधारी योजना में समायोजन करेगी। नीति-निर्माताओं के अनुसार, यह दृष्टिकोण वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और सरकारी उधारी को सुचारू रूप से प्रबंधित करने में मदद करेगा।
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