नई दिल्ली। मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया केस में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जब यह केस शुरूआती दौर में था, तो यह एक आतंकी और मामूली घटना लगी थी। लेकिन, जांच के बाद जिस तरह से इस केस ने महाराष्ट्र की राजनीति को ऐसे अपने चपेट में लिया कि कई लोगों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। इस केस में तिहाड़ जेल की एंट्री हुई थी। यहां बंद एक आतंकी ने सोशल मीडिया टेलीग्राम पर एक चैनल बनाकर इस घटना की जिम्मेदारी ली थी। दिल्ली पुलिस ने जब तिहाड़ जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सदस्य तहसीन अख्तर से पूछताछ की तो वह पूरा तरह झूठी निकली। यह सब उसने सिर्फ चर्चाओं में आने के लिए ऐसा किया था। बता दें कि एंटीलिया के पास कार पार्क की गई थी जिसमें 20 जिलेटिन की छड़ें रखी गई थीं। इसके बाद पहले इसकी जांच महाराष्ट्र पुलिस कर रही थी बाद में आतंकी एंगल होने के कारण एनआईए ने इस केस को अपने हाथ में ले ली।10 मार्च को, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने जैश-उल-हिंद नामक एक आतंकवादी समूह की ओर से टेलीग्राम पर आए एक मैसेज का पता लगाया। इसमें 25 फरवरी को मुंबई में अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर एक सड़क पर 20 जिलेटिन स्टिक के साथ स्कॉर्पियो वाहन पार्क करने की जिम्मेदारी का दावा किया गया था। यह मैसेज तिहाड़ की जेल में बंद अख्तर के सेल में एक फोन से मिला। अख्तर जेल में 2013 के हैदराबाद विस्फोट मामले में मौत की सजा काट रहा है। एक महीने तक, दिल्ली पुलिस के जांचकर्ताओं ने अख्तर से पूछताछ की। उसने शुरू में कहा था कि उसके नए आतंकवादी समूह ने कार एंटीलिया के बाहर पार्क की थी, लेकिन बाद में उसने माना कि ये सब झूठ था। जांच से परिचित एक अधिकारी ने बताया “अख्तर से कई घंटों तक पूछताछ की गई। शुरू में, उसने यह जिम्मेदारी लेकर हमें गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन बाद में सच पता लगा।” अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘इस बात का भी कोई सबूत नहीं था कि आतंकी समूह मौजूद है। बाद में, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने इसे बनाया था। वह सिर्फ जांचकर्ताओं को गुमराह करने चर्चित होने के लिए ऐसा कर रहे थे।’ पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि अख्तर, इंडियन मुजाहिदीन या उसके नए आतंकी समूह की अंबानी मामले में कोई भूमिका नहीं थी। बता दें कि पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े को इस मामले में आरोपी बनाया गया था और उन्हें मुंबई पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया था।बता दें कि इस केस में महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख की कुर्सी चली गई। उन पर आरोप है कि उन्होंने कुछ पुलिस अधिकारियों को होटल ,रेस्टोरेंट आदि से वसूली करने को कहा था।