नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है।लेकिन कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों में अलग-अलग राय है।इस बीच भारत सरकार ने संभावित खतरे को देखते हुए अपनी तैयारी तेज कर दी है और कई गाइड लाइन भी जारी की है। हालांकि बच्चों पर इसका कितना असर होगा इस संबंध में अध्ययन जारी है।वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और AIIMS का एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर का बच्चों पर अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना कम है।
The possible third wave of COVID-19 unlikely to affect children much, as per WHO-AIIMS survey
— ANI (@ANI) June 17, 2021
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूएचओ और एम्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका कम है। सर्वे में वयस्कों के मुकाबले बच्चों में सार्स-सीओवी-2 की सीरो पॉजिटिविटी रेट ज्यादा थी। यह सर्वेक्षण देश के पांच राज्यों में किया गया था। इस सर्वेक्षण में 10 हजार नमूने लिए गए थे। फिर भी सरकार तीसरी लहर को लेकर सतर्क हो गई है। सरकार ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि कोरोना के वयस्क रोगियों के उपचार में काम आने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डाक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक दवाएं बच्चों के इलाज के लिए मुफीद नहीं हैं। सरकार ने बच्चों में संक्रमण के आंकड़े जमा करने के लिए राष्ट्रीय पंजीकरण की सिफारिश भी की है। सरकार का कहना है कि बच्चों की उचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को क्षमता बढ़ाने के काम शुरू कर दिए जाने चाहिए। बच्चों के अस्पतालों में कोरोना संक्रमित बच्चों के लिए अलग बिस्तरों की व्यवस्था की जानी चाहिए।