मुंबई। आगामी BMC चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। पिछले 25 सालों से बीएमसी पर शिवसेना का ही कब्जा है,अबकी बार का चुनाव शिवसेना का लिए आसान नहीं है। 2017 मनपा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग लड़े थे। बीजेपी ने अकेले ही 82 सीटों पर जीत हासिल की थी, वही शिवसेना मात्र 84 सीटें ही जीत पाई थी।पिछले चुनाव में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन से शिवसेना के लिए डर बना हुआ है, इस बार तो महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार है, शिवसेना के साथ गठबंधन होने के बाद भी कांग्रेस ने अकेले ही बीएमसी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है,कांग्रेस ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि अबकी बार बीएमसी में 100 से अधिक नगरसेवक भाजपा के होंगे और महापौर भाजपा का होगा।
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप तैयारियों में अभी से जुट गए हैं, वहीं बीजेपी ने उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह को पार्टी में शामिल कर लिया है। कृपाशंकर के बीजेपी में आने के बाद से ही माना जा रहा है कि उत्तर भारतीयों का वोट पूरी तरह से बीजेपी के पाले में आ सकता है। मोदी की नई कैबिनेट में नारायण राणे को मंत्री बना दिया गया है, जिसके बाद महाराष्ट्र के कोकण जिले के वोट भी बीजेपी के पाले में आ सकते है। इसका फायदा बीजेपी को बीएमसी चुनाव में मिलने की पूरी उम्मीद जताई जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में कुल लगभग 98 लाख मतदाता हैं, जिसमें 17 लाख वोटर्स उत्तर भारतीय हैं। इन वोटर्स की बीएमसी की 227 सीटो में से 55 सीटों पर सीधा प्रभाव है।