नई दिल्ली। पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर भारतीयों पर निगरानी रखने के मामले में नया रहस्योद्घाटन हुआ है। इस संबंध में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यू टर्न ले लिया है। लीक हुए नंबरों का डेटा एनएसओ कंपनी के पेगैसस स्पायवेअर से संबंधित था, इस दावे को उसके सिरे से नकार दिए जाने से इस समूचे प्रकरण को एक अलग ही मोड़ मिल गया है।
किम जेटर नामक साइबर सिक्युरिटी जर्नलिस्ट ने इस संबंध में ट्विट करके स्पष्ट किया है, जिसके मुताबिक एमनेस्टी इंटरनेशनल का नया दावा है कि लीक हुए नंबर कंपनी के उपभोक्ताओं के लिए दिलचस्प हो सकते हैं। ये नंबर ऐसे हैं, जो ‘नंबर्स ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में मार्क किए गए यानी उनमें दिलचस्प होने की संभावना जताई गई। इसका मतलब यह नहीं है कि इन नंबरों पर एनएसओ कंपनी के पेगासस स्पाईवेयर के जरिए निगरानी रखी गई। एमनेस्टी इंटरनेशनल के दावे से यह स्पष्ट हुआ है कि ये नंबर ऐसे व्यक्तियों के हैं, जिन पर एनएसओ के उपभोक्ताओं को निगरानी रखने जैसा महसूस हो सकता है अथवा उन पर निगरानी रखी जा सकती है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उनकी निगरानी या जासूसी की गई और इससे अब जासूसी के प्रकरण को नया मोड़ मिल गया है। साथ ही इससे विरोधियों के उस शोरशराबे की हवा भी निकल गई है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार निगरानी पर रख जासूसी कर रही है।