वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर का मुख्य द्वार (मेन गेट) सिर्फ अंदर आने की जगह ही नहीं बल्कि ऊर्जा का रास्ता भी है। मुख्य द्वार घर के किसी अन्य दरवाजे से बड़ा होना चाहिए और यह क्लॉकवाइज तरीके से खुलना चाहिए। एक लाइन में तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए, न ही मुख्य द्वार से समानांतर में। क्योंकि इसे गंभीर वास्तु दोष माना गया है और यह घर की खुशियों को प्रभावित कर सकता है। मेन डोर कम से कम 7 फुट ऊंचा और 3 फीट चौड़ा होना चाहिए। बड़े दरवाजे होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा आती है। इसलिए छोटे दरवाजे न लगवाएं। इसके अलावा बाकी के दरवाजे हाइट में छोटे होने चाहिए। मेन डोर के रूप में मालिकों को पीछे के दरवाजे का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसका उपयोग घरेलू सहायकों या अन्य कर्मचारियों द्वारा किया जा सकता है।
मुख्य द्वार के सामने शीशा न रखें: मुख्य दरवाजा पॉजिटिव एनर्जी को आकर्षित करता है। मेन गेट के पास कूड़ेदान, टूटी हुई कुर्सियां और स्टूल न रखें। मेन गेट के आसपास पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। मुख्य द्वार के सामने शीशा न रखें, क्योंकि यह एनर्जी को वापस धकेल देगा”।
मेन गेट पर ओम या स्वास्तिक बनाएं: घर के मेन गेट पर एक चौखट (मार्बल या लकड़ी) होनी चाहिए। क्योंकि माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को समाहित कर सकारात्मक ऊर्जा को आगे बढ़ाता है। मेन गेट को धार्मिक चिन्हों जैसे ओम, स्वास्तिक, क्रॉस से सजाएं और फ्लोर पर रंगोली बनाएं। यह इसलिए क्योंकि इन्हें शुभ माना जाता है और यह सुख-समृद्धि लाता है। घर का मुख्य द्वार 90 डिग्री में खुलना चाहिए, वो भी बिना किसी रुकावट के। दरवाजों के कब्जों में नियमित तौर पर तेल डालें और दरवाजों के सामान पर पॉलिश करें। एंट्रेंस में किसी भी तरह की टूट-फूट और चटकी हुई लकड़ी नहीं होनी चाहिए, न ही कोई पेच निकला होना चाहिए।
हमेशा नेम प्लेट लगाएं। अगर घर का दरवाजा उत्तर और पश्चिम दिशा की ओर है तो धातु की नेम प्लेट लगाने की हमेशा सलाह दी जाती है। अगर दक्षिण या पूर्व में है तो लकड़ी की नेम प्लेट लगाएं।