सेहत को लेकर हर कोई परेशान रहता है। किसी को नींद नहीं आती है तो किसी को पेट की समस्या होती है। ऐसे में लोग दवा का सेवन करते हैं। लेकिन ऐसे भी घरेलू उपाय है। जिसका प्रयोग कर सेहत को दुरुस्त किया जा सकता है। इसमें एक है योगा जिसे अपना कर शरीर की समस्याओं को खत्म किया जा सकता है। बशर्ते उसको सही तरीके से किया जाए। ऐसे कई आसान हैं जिससे बच्चों की शारीरिक ग्रोथ और लंबाई बढ़ती है। चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है। कब्ज दूर होता है। ताड़ासन को नियमित करते रहने से पैरों में मजबूती आती है साथ ही पंजे मजबूत होते हैं तथा पिंडलियां भी सख्त होती हैं। इसके अलावा पेट व छाती पर खिंचाव पड़ने से उनके सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं। पेट संबंधी रोग दूर होता है। वीर्यशक्ति में वृद्धि होती है। पाइल्स रोगियों को इससे लाभ मिलता है।
यह आसन बच्चों की शारीरिक ग्रोथ और लंबाई बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। ताड़ासन से शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान हो जाती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। ताड़ासन और वृक्षासन में फर्क होता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। पंजे के बल खड़े रहकर दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर फिर फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ दें और अर्थात हथेलियां आसमान की ओर रहें। गर्दन सीधी रखें। यह ताड़ासन है।
भुजंगासन: भुंजग अर्थात सर्प के समान। पेट के बल लेटने के बाद हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए लाएं और हथेलियों को बाजुओं के नीचे रख दें। अब हथेलियों पर दबाव बनाते हुए सिर को आकार की ओर उठाएं। यह भुजंगासन है।: खासकर इस आसन से तोंद कम होती है और फेफड़े मजबूत होते हैं। इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचन-प्रणाली की कोमल पेशियां मजबूत बनती है। इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है। कब्ज दूर होता है। जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खांसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए।
गोमुखासन: आकृति गाय के मुख के समान बन जाती है इसलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। दंडासन में बैठते हुए अब बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें। दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें। इस स्थिति में दोनों जंघाएं एक-दूसरे के ऊपर रखा जाएगी जो त्रिकोणाकार नजर आती है। फिर दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की ओर ले जाएं तब बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजें को पकड़े।
गर्दन व कमर सीधी रखें। अब एक ओर से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओर से इसी प्रकार करें। यह गोमुखासन है। इससे श्वास संबंधी सभी तरह के रोग में लाभ मिलता है। यह छाती को चौड़ा कर फेफड़ों की शक्ति को बढ़ाता है जिससे श्वास संबंधी रोग में लाभ मिलता है। यह आसन संधिवात, गठिया, कब्ज, अंडकोष वृद्धि, हर्निया, यकृत, गुर्दे, धातु रोग, बहुमूत्र, मधुमेह एवं स्त्री रोगों में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है।
शवासन: शवासन को करना सभी जानते हैं। यह संपूर्ण शरीर के शिथिलीकरण का अभ्यास है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। समस्त अंग और मांसपेशियों को एकदम ढीला छोड़ दें। चेहरे का तनाव हटा दें। कहीं भी अकड़न या तनाव न रखें। अब धीरे-धीरे गहरी और लंबी श्वास लें। महसूस करें की गहरी नींद आ रही है। इसका अभ्यास प्रतिदिन 10 मिनट तक करें। उपरोक्त क्रियाएं यह हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप), अनिद्रा और तनाव से ग्रस्त के रोगियों के लिए रामबाण दवा है।
उष्ट्रासन: ऊंट के समान दिखाई देने के कारण उष्ट्रासन। वज्रासन की स्थिति में बैठने के बाद घुटनों के ऊपर खड़े होकर पगथलियों के ऊपर एक एक कर क्रम से हथेलियां रखते हुए गर्दन को ढीला छोड़ देते हैं और पेट को आसमान की ओर उठाते हैं। ये उष्ट्रासन है। उदर संबंधी रोग और एसिडिटी को दूर करता है यह आसन। उदर संबंधी रोग, जैसे कॉस्ट्रयूपेशन, इनडाइजेशन, एसिडिटी रोग निवारण में इस आसन से सहायता मिलती है। गले संबंधी रोगों में भी यह आसन लाभदायक है। इस आसन से घुटने, ब्लैडर, किडनी, छोटी आंत, लीवर, छाती, लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे कि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगी बना रहता है। श्वास, उदर, पिंडलियों, पैरों, कंधे, कुहनियों और मेरुदंड संबंधी रोग में लाभ मिलता है।