लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का दावा है कि यूपी के कुल 100 में से 60 फ़ीसदी वोट बीजेपी का है, और बाकी 40% में से भी बाकी पार्टियां बंटवारा करेंगी। इस बंटवारे मे भी बीजेपी का हिस्सा है। प्रदेश में करीब 18 फीसदी मुसलमान 12 फीसदी जाटव और 10 फीसदी यादव हैं, इसके अलावा बाकी जातियों में यानी 18% में सवर्ण दलित और दूसरी जातियां हैं ऐसे में इन वोटरों में से मुस्लिम को छोड़कर बीजेपी 10 फीसद यादव पर भी अपना दावा मानकर चल रही है। यानी उनके पास ऐसी रणनीति है जिसके आधार पर वह 10 प्रतिशत यादव वोट में भी सेंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं, अगर साल 2017 के चुनाव में वोटों के प्रतिशत पर नजर डालें तो उन चुनाव में समाजवादी पार्टी को 22 फीसदी बहुजन समाज पार्टी को 18 फीसदी वोट मिले थे।
उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ी वर्ग का है, जबकि प्रदेश में 10% ब्राह्मण हैं, 18% में सभी समान्य जातियां हैं, पिछड़े वर्ग में 40% जातियां आती हैं जिनमें 10% यादव कुर्मी और दूसरी जातियां हैं, मल्लाह 5 फीसदी, लोध 3 फीसदी जाट भी 3 फीसदी, विश्वकर्मा और गुर्जर भी आती हैं। प्रदेश में 22% जातियां अनुसूचित जाति हैं और बाकी 18% मुस्लिम जाति के लोग हैं। इन्हीं सब समीकरणों को ध्यान में रखकर के बीजेपी प्रदेश की 60% जनता पर अपना फोकस करके चल रही है। ओबीसी वोटों को हथियाने के लिए सियासी पार्टियों का एक-दूसरे पर आरोप और ज्यादा से ज्यादा वोटर्स को लुभाने के पीछे का कारण साफ है कि प्रदेश में पिछड़ा और दलित वोटर बहुसंख्यक है। उसको अपने में पाले में किए बगैर सत्ता की चाबी मिलना मुश्किल है। इसीलिए बीजेपी से लेकर बसपा, सपा और कांग्रेस सब उस पर लगातार दावा कर रहे हैं। अब वोटर्स के मन में असलियत में क्या है यह सामने आना बाकी है. इससे पहले सभी सियासी पार्टियां अपना जोर लगा रही हैं कि ज्यादा से ज्यादा अपना इनको लुभा सके औऱ चुनावों मे वोटों के रूप में भुना सकें।