मुंबई। गणेश चतुर्थी के लिए हर कोई अपने घर सबसे सुंदर गणेश मूर्ति लाने की इच्छा रखता है, लेकिन प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां दिखने में तो भले ही अच्छी लगें लेकिन यह पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। तो क्यों न इस बार आप अपने घर पर इको-फ्रेंडली गणेश मूर्ति लाएं। पेपर से बनी मूर्ति विसर्जन के बाद आसानी से मिट्टी के साथ घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।
10 सितंबर से 10 दिवसीय गणेशोत्सव पर्व शुरू होने वाला है। उत्साह के साथ हम गणपति को लाते हैं। दस दिनों तक हम पूरे मन से गणपति की पूजा करते हैं। फिर बप्पा की विदाई करते हैं। पर बप्पा के विसर्जन के बाद मूर्ति पूरी तरह से पानी में नहीं घुलती है। पर यह कब तक चलेगा? कुर्ला की प्रथमेश इको फ्रेंडली संस्था मुंबई, की संचालिका जयश्री गजकोश ने मुंबई के तालाबों समुद्रों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का फैसला किया। भगवान गणेश की इस साल भी मूर्तियां इको फ्रेंडली अपने कारखाने कुर्ला ईस्ट कामगार नगर व चूनाभट्टी में बनवा रही हैं, ताकि लोग यहां से इको फ्रेंडली मूर्ति खरीद सकें।
भगवान गणेश की यह इको फ्रेंडली मूर्ति पेपर पल्प और ट्री ग्लू से बनाई जाती है। दंपति ने इस बारे में नियमित प्रशिक्षण भी लिया है। गजकोश के उपनाम के साथ, जयश्री और उनके पति संदीप गजकोश पर्यावरण के अनुकूल गणपति बनाने के व्यवसाय में शामिल हो गए। उन्होंने कई पर्यावरण के अनुकूल गणेश प्रतिमाएं बनाईं। जयश्री गजकोश के कारखाने से कई सिने कलाकार भी मूर्तियाँ लेते हैं। जयश्री ने अपने कला के माध्यम से अपना व्यवसाय बढ़ाना जारी रखा है। जयश्री का मानना है कि सभी को पर्यावरण के अनुकूल गणपति को घर लाना चाहिए और प्रदूषण से बचना चाहिए।