नई दिल्ली। जिस तरह से अफगानिस्तान में हालत है उससे नहीं लगता है कि आगे की स्थिति सामान्य होगी। इस बीच भारत भी अफगान पर तालिबानी कब्जे से चिंतित नजर आ रहा है। हालांकि,अभी ऐसी चुनौती भारत के सामने उत्पन्न नहीं हुई है। बावजूद भारत आगामी चुनौतियों को देखते हुए खुद को तैयार कर रहा है। इस बीच देश के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने मोदी सरकार और तालिबान के बारे में अहम बात कही है। एक तरह से उन्होंने मोदी सरकार की तारीफ ही
की है।
उन्होंने कहा कि तालिबान को पता है कि यह 2001 का नहीं,यह 2021 का नया भारत है। उन्हें पता है कि इस समय हिंदुस्तान में जो सरकार है, वह मुहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। बालाकोट जैसी कार्रवाई कर सकती है। बता दें कि तालिबान भी अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद कहा था कि हम पाक और भारत के किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान में भारत द्वारा किये जा रहे कार्यों की बार बार तारीफ की है। हालांकि, तालिबान पर भरोसा करना बड़ी भूल होगी।
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उन्होंने कहा कि तालिबान को पता है कि यह 2001 का नहीं,यह 2021 का नया भारत है। उन्हें पता है कि इस समय हिंदुस्तान में जो सरकार है, वह मुहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। बालाकोट जैसी कार्रवाई कर सकती है। बता दें कि तालिबान भी अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद कहा था कि हम पाक और भारत के किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान में भारत द्वारा किये जा रहे कार्यों की बार बार तारीफ की है। हालांकि, तालिबान पर भरोसा करना बड़ी भूल होगी।
अमेरिका ने की बड़ी गलती: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में कहा, ‘तालिबान से अभी बात करने का सवाल ही नहीं है। अभी देखना होगा कि वे अफगानिस्तान में क्या करते हैं? हालांकि उनकी बातों ने उम्मीद जगाई है। अमेरिका ने एक साथ सैनिकों को वापस लाकर बहुत बड़ी गलती की। पंजशीर वैली से अगर जंग छिड़ी तो लड़ाई बढ़ सकती है। अगर इसी तरह अत्याचार की खबरें आती रही तो विश्व में कोई उन्हें मान्यता नहीं देगा। अगला हफ्ता बहुत ही क्रिटिकल है। अगर वे सरकार बना लेते हैं तो स्थिति अलग ही होगी और अगर सरकार नहीं बन पाती है तो अगल हालात होंगे। इन सबमें पाकिस्तान का पूरा हस्तक्षेप है और आगे भी रहेगा।’
पूरी सोची समझी प्लानिंग है: तालिबान आज दुनिया से वही कह रहा है, जो दुनिया सुनना चाहती है। हालांकि दुनिया को तालिबान के इन बयानों पर भले ही भरोसा ना हो,लेकिन इतना तो तय है कि इस बार तालिबान उदार छवि पेश कर रहा है। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि नए तालिबान का टीचर कौन है। तालिबान को ये सब कौन सिखा रहा है। क्या चीन, पाकिस्तान इसके पीछे है? तालिबानियों की रणनीति और बयान देखकर साफ लगता है कि इसके पीछे पूरी सोची समझी प्लानिंग है।
पूरी सोची समझी प्लानिंग है: तालिबान आज दुनिया से वही कह रहा है, जो दुनिया सुनना चाहती है। हालांकि दुनिया को तालिबान के इन बयानों पर भले ही भरोसा ना हो,लेकिन इतना तो तय है कि इस बार तालिबान उदार छवि पेश कर रहा है। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि नए तालिबान का टीचर कौन है। तालिबान को ये सब कौन सिखा रहा है। क्या चीन, पाकिस्तान इसके पीछे है? तालिबानियों की रणनीति और बयान देखकर साफ लगता है कि इसके पीछे पूरी सोची समझी प्लानिंग है।
खतरनाक खेल: चीन-पाकिस्तान का खतरनाक खेल है। जहां तमाम देश काबुल में फंसे अपने नागरिकों को निकालने में जुटे हैं वहीं चीन ने तालिबान से दोस्ती का ऐलान कर दिया है। पाकिस्तान ने कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान में गुलामी की जंजीरें तोड़ दी है। चीन और पाकिस्तान दोनों ही दुनिया के उन चुनिंदा देशों में भी शामिल हैं, जिनके दूतावास अफ़गानिस्तान में तालिबान के क़ब्ज़े के बाद भी ना सिर्फ खुले हैं बल्कि पूरी तरह वर्किंग हैं।
भारत के सामने सुरक्षा चुनौतियां बढ़ी:‘डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज 5.0’ के उद्घाटन में रक्षामंत्री ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों में तेजी से बदलाव को ध्यान में रखते हुए भारत को मजूबत, सक्षम और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग पर फोकस करना होगा ताकि सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। उन्होंने आगे कहा, ”यह आवश्यक है कि हम ना केवल मजबूत, आधुनिक और अच्छी तरह से सुसज्जित बल तैयार करें, बल्कि अपना रक्षा उद्योग भी विकसित करना होगा, जो मजबूत, सक्षम और सबसे बढ़कर पूरी तरह आत्मनिर्भर हो।”