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Friday, December 27, 2024
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कौन है अखुंदजादा जिसे दुनिया सिर्फ एक तस्वीर में देखी है, बना सुप्रीम लीडर

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नई दिल्ली। तालिबान शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद नई सरकार का ऐलान कर सकता है। तालिबान नई सरकार को चलाने के लिए प्लान भी बना लिया है। बताया जा रहा है कि तालिबान सरकार सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा होगा। बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों  की घर वापसी के बाद तालिबान ने जश्न मनाया था। 9 /11 हमले के बाद अमेरिका ने 7 अक्टूबर 2001 में अफगानिस्तान में एंट्री मारी थी।  इसके बाद से अमेरिका ने अफगान में 20 साल तक तालिबान के खिलाफ अभियान चलाया।
प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति मानेंगे आदेश: अफगानिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा इस सरकार के सुप्रीम होंगे और प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति उनके आदेशों के तहत ही काम करेंगे। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के कल्चरल कमिशन के सदस्य अनमुल्लाह समनगनी ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया, ‘नई सरकार पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी हो गई है और कैबिनेट को लेकर जरूरी फैसले भी ले लिए गए हैं। हम जिस इस्लामी सरकार का ऐलान करेंगे वह लोगों के लिए उदाहरण होगी। अखुंदजादा के नेतृत्व में सरकार बनने को लेकर कोई शक नहीं है। वह सरकार के मुखिया होंगे और इसपर कोई सवाल ही नहीं किया जा सकता।’
 अबतक एकमात्र तस्वीर उपलब्ध: हिबतुल्लाह अखुंदजादा का जन्‍म कंधार में हुआ है। इसके बाद उसका परिवार  बलूचिस्‍तान के क्‍वेटा में आ गया। इसने रूसी सेना के खिलाफ आवाज उठाई थी। वर्ष 2017 में इसके एक बेटे की मौत अमेरिकी सेना पर किए गए आत्‍मघाती हमले में हुई थी। बताया जाता है कि 2012 और 2019 में इस पर जानलेवा हमला हुआ था लेकिन वह बच गया। अखुंदजादा आज तक कभी भी सार्वजनिक रूप से लोगों के सामने नहीं आया है और उसकी अबतक एकमात्र तस्वीर ही उपलब्ध है।
2016 में संभाली थी तालिबान की कमान: अखुंदजादा कंधार में ही छुपकर रह रहा है। अखुंदजादा इस कदर छिपकर रहता है कि उसके ही ज्यादातर लोगों ने उसे नहीं देखा है और ना ही उसकी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में ही हर आतंकी को पता है। वो अपने त्‍योहारों पर भी वीडियो मैसेज के जरिए अपने आतंकियों को संदेश देता है। अखुंदजादा ने तालिबान की कमान वर्ष 2016 में संभाली थी। पूर्व नेता अख्‍तर मंसूर के अमेरिकी हमले में मारे जाने के बाद यह नियुक्ति की गई थी। 50 वर्षीय अखुंदजादा को एक सैनिक/लड़ाके के बजाय एक कानूनविद के रूप में बताया गया है और उसे संगठन में इस्‍लाम की चरम व्‍याख्‍याओं का लागू करने का श्रेय दिया गया है।
शरिया अदालत का प्रमुख: अखुंदजादा से पहले भी आतंकी संगठन की कमान संभालने वाले दूसरे नेताओं को भी इसी तरह से छिपाकर रखा गया है। इससे पहले जिस मुल्‍ला उमर के हाथों में तालिबान की कमान थी, वो तालिबान शासन के दौरान एकाध बार ही काबुल आया था और उमर का ठिकाना भी कंधार में ही था। इसी वजह से कंधार तालिबान का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। इस बार तालिबान के काबुल पर कब्‍जे के बाद से अखुंदजादा का अब तक कोई बयान भी सामने नहीं आया है।  लेकिन बिना उसकी इजाजत या सलाह के तालिबान कोई कदम आगे नहीं बढ़ेगा। उसी के दिशा निर्देश पर फतवे जारी किए जाते हैं और वह शरिया अदालत का प्रमुख भी है।

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