नई दिल्ली। टोक्यो पैरालंपिक के आखिरी दिन भारत की झोली में एक और सिल्वर मेडल गिरा। नोएडा के डीएम सुहास यथिराज ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन में सिल्वर जीता। वह पैरालंपिक में में सिल्वर मेडल जितने वाले पहले आईएएस अधिकारी बन गए हैं। फ़ाइनल में सुहास को फ़्रांस के लुकास मजूर के खिलाफ 21-15 ,17 -21 ,15 -21 के अंतर से हार गए।
उन्होंने शनिवार को सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने से पहले ग्रुप चरण में तीन मैच खेले और एक मुकाबले को छोड़कर सभी में उनका प्रदर्शन दबदबा वाला रहा। पहले दो मैचों को 20 मिनट से भी कम समय में अपने नाम करने वाले सुहास ने सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 31 मिनट में 21-9, 21-15 से हराया था। कर्नाटक के 38 साल के सुहास के टखनों में विकार है।
कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर हैं और 2007 बैच के आईएसएस अधिकारी भी हैं। वे 2020 से नोएडा के जिलाधिकारी हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुवाई कर चुके हैं। एनआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त लेने वाले सुहास इससे पहले प्रयागराज, आगरा, आजमगढ़, जौनपुर, सोनभद्र जिलों के जिलाधिकारी रह चुके हैं। सुहास ने इसी साल बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया।
इसी के साथ गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले गैर-रैंक वाले खिलाड़ी बन गए। उन्होंने 2017 और 2019 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में मेन्स सिंगल्स और डबल्स इवेंट का गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने ब्राजील में 2020 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। सुहास का जीता सिल्वर टोक्यो पैरालिंपिक्स में भारत को बैडमिंटन में मिला दूसरा बड़ा मेडल है। इससे पहले प्रमोद भगत देश के लिए सोना जीत चुके हैं।