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Sunday, November 24, 2024
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निजामुद्दीन मरकज को दोबारा खोलने का केंद्र ने किया विरोध

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नई दिल्ली। निजामुद्दीन मरकज मस्जिद को दोबारा खोलने को लेकर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट के सामने विरोध दर्ज कराया है। दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई याचिका पर नाराजगी जताई है। बता दें कि 2020 में यहां धर्मिक मंडली में होने वाले 24 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गये थे।

एक हलफनामा में कहा गया है, “चूंकि लगभग 1300 विदेशी उस परिसर में मिले थे और उनके खिलाफ कार्रवाई के मामले में अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंध के कारण देर हो रही है। दिल्ली डीसीपी (क्राइम) जॉय तिर्की ने मामले में संपत्ति को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जा सके। दिल्ली पुलिस ने कहा है, “इस तरह भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत याचिकाकर्ता के अधिकार पर लगाया गया उचित प्रतिबंध इस आधार पर है कि उक्त परिसर का उपयोग कानून के अनुसार और सार्वजनिक व्यवस्था के आधार पर नहीं किया जा रहा था।”
उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 26 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। वही सार्वजनिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए छोटी अवधि के लिए कटौती की गई है और इसलिए इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है।” विवाद तब शुरू हुआ जब मरकज निजामुद्दीन में धार्मिक मण्डली में शामिल होने वाले 24 लोगों की कोविड​​​​-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इस आयोजन में भाग लेने वाले हजारों लोगों पर कोरोन वायरस को लेकर देशभर में प्रसार का आरोप लगा। एमएचए के अनुसार, 21 मार्च, 2020 तक 216 विदेशियों सहित 1746 व्यक्ति मरकज भवन में रह रहे थे। दिल्ली सरकार के अनुसार, धार्मिक मण्डली ने प्रचलित आदेशों का उल्लंघन किया। जिसने बड़े समारोहों पर रोक लगा दी गई।
हालांकि, मरकज ने दावा किया कि उसने नियमों का उल्लंघन नहीं किया और देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा के बाद धार्मिक समारोह को बंद कर दिया। इसके बजाय यह आरोप लगाया गया कि परिवहन सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण कई लोग वहीं फंस गए थे।31 मार्च, 2020 को दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद और तब्लीगी जमात के अन्य अधिकारियों के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। प्राथमिकी में यह कहा गया है कि मण्डली COVID-19 की रोकथाम और उपचार के लिए सुरक्षा उपाय करने में विफल रही। 3 अप्रैल, 2020 तक भारत में कुल COVID-19 मामलों में से 30% तब्लीगी जमात धार्मिक मण्डली से जुड़े थे। मस्जिद 31 मार्च, 2020 से लगभग बंद है। अधिकारियों ने 5 व्यक्तियों को एक ही परिसर में दिन में 5 बार नमाज अदा करने की अनुमति दी है

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