नई दिल्ली। हांगकांग में महिलाओं के स्कर्ट के नीचे की तस्वीर लेना या वीडियो बनाना अपराध की श्रेणी में रखा है। हांगकांग ने एक कानून पारित कर ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की है। अपराध के नए कानून में चार गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में रखा है। नए कानून में केवल सार्वजनिक स्थानों को ही नहीं, बल्कि निजी स्थानों को शामिल किया गया है। इस तरह से वायरिजम ( दर्शनसुख) में कुल अपराधों की संख्या छह हो गई है। बता दें कि इससे पहले भी भारत सहित कई देशों में अपस्कर्टिंग को अपराध की श्रेणी रखा गया है।
अपराधों की संख्या छह: हांगकांग की लैजिसलेटिव काउंसिल ने नए कानून के जरिए इस तरह की गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। चार गतिविधियां होंगी अपराध नए कानून में चार गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में डाला गया है जिसके बाद वॉयरिजम में कुल अपराधों की संख्या छह हो गई है। कानून में सिर्फ सार्जवनिक ही नहीं, निजी स्थानों पर भी इस तरह की तस्वीरें लेने या रिकॉर्डिंग बनाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। तस्वीरें लेने वाले और शेयर करने वाले दोनों को ही अपराधी माना जाएगा। नए नियमों में वॉयरिजम यानी छिपकर किसी की अंतरंग पलों को देखना या रिकॉर्ड करना, ऐसी गतिविधि से मिली तस्वीरों या वीडियो शेयर करना, और यौनेच्छा से प्रेरित होकर किसी व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट्स की तस्वीरें अथवा वीडियो लेना शामिल है।
अदालत में चुनौती दी जा सकती है: यदि कोई व्यक्ति दो या उससे अधिक अपराधों में दोषी पाया जाता है तो उसका नाम सेक्स ऑफेंडर्स रजिस्टर में दर्ज किया जा सकता है। डीप फेक भी अपराध कानून में एक और प्रावधान रखा गया है जिसके तहत डीप फेक यानी आर्टफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए पॉर्न वीडियो या फोटो बनाने को भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है और उसे इंटरनेट से हटाया जा सकता है। डीप फेक में जिन लोगों के चेहरे इस्तेमाल हुए हैं, वे न सिर्फ उन्हें बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं बल्कि ऐसी तस्वीरों को शेयर करने या प्रकाशित करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि फेसबुक या इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट्स को भी अदालत में घसीटा जा सकेगा. कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नए कानून का स्वागत किया है।
भारत में भी अपस्कर्टिंग गैरकानूनी: एसोसिएशन कनसर्निंग सेक्शुअल वायलेंस अगेंस्ट विमिन नामक संस्था की लिंडा एस वाई वॉन्ग ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि ये नए अपराध आम लोगों और कानून व्यवस्था लागू करवाने वाली एजेंसियों को समझने में मदद करेंगे कि फोटो या वीडियो आधारित यौन हिंसा ऐसा नुकसान पहुंचाती है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती”। बता दें कि दुनिया भर में अपस्कर्टिंग के लिए जागरूकता फ़ैलाने के लिए कई देशों ने इसे अपराध की श्रेणी में पहले ही रख चुके हैं। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया,जर्मनी, ब्रिटेन के कई राज्यों समेत भारत में अपस्कर्टिंग गैरकानूनी है। स्कॉटलैंड में 2010 में इसे लेकर कानून बनाया गया था। न्यूज़ीलैंड में भी इस अपराध को लेकर प्रावधान हैं।
भारत में भी अपस्कर्टिंग गैरकानूनी: एसोसिएशन कनसर्निंग सेक्शुअल वायलेंस अगेंस्ट विमिन नामक संस्था की लिंडा एस वाई वॉन्ग ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि ये नए अपराध आम लोगों और कानून व्यवस्था लागू करवाने वाली एजेंसियों को समझने में मदद करेंगे कि फोटो या वीडियो आधारित यौन हिंसा ऐसा नुकसान पहुंचाती है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती”। बता दें कि दुनिया भर में अपस्कर्टिंग के लिए जागरूकता फ़ैलाने के लिए कई देशों ने इसे अपराध की श्रेणी में पहले ही रख चुके हैं। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया,जर्मनी, ब्रिटेन के कई राज्यों समेत भारत में अपस्कर्टिंग गैरकानूनी है। स्कॉटलैंड में 2010 में इसे लेकर कानून बनाया गया था। न्यूज़ीलैंड में भी इस अपराध को लेकर प्रावधान हैं।