नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से तप , त्याग ,सदाचार आदि में बढ़ोत्तरी होती है। कहा जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से आयु लंबी होती है।
ऐसे करें पूजा -अर्चना: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें। अब उन्हें दूध, दही, चीनी, घी और शहद से स्नान कराएं और मां को प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद के बाद आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें। देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें।
यह है कथा : शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया। पार्वती ने महर्षि नारद के कहने पर देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक की कई इस कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या से उन्होंने महादेव को प्रसन्न कर लिया। मान्यता है कि अगर मां की भक्ति और पूजा से दिल से की जाएं तो मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें धैर्य, संयम, एकाग्रता और सहनशीलता का आशीर्वाद देती हैं।
गहन ध्यान में: देवी ब्रह्मचारिणी एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे हाथ में पवित्र कमंडल लेकर नंगे पैर चलती हैं। इस देवी का ध्यान स्वरूप देवी पार्वती का प्रतीक है जब वह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने गहन ध्यान में लगी थीं।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।