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Monday, November 25, 2024
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लखीमपुर हिंसा पर नड्डा ने कहा, चुनावी नजरिये से इस घटना को न देखा जाए

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नई दिल्ली। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि लखीमपुर मामले में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून अपना काम करेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि न तो बीजेपी और न ही उनकी सरकार ऐसे किसी भी गतिविधि का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि इस घटना को चुनावी नजरिया से न देखा जाए। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि इस घटना में जो भी शामिल होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं किसानों के मुद्दों पर विपक्ष को लताड़ लगाई।

बीजेपी अध्यक्ष ने किसान आंदोलन पर भी अपनी बात रखी। इस दौरान कृषि कानून रद्द करने पर विचार के सवाल पर उन्होंने कहा हमें समझना होगा कि किसान नेता, किसानों का नेता, ये नारा लेकर कई राजनेता किसान नेता के नाम से पहचाने गए हैं। बहुत दिनों से किसानों के बारे में चर्चा हुई। हम मंत्री भी रहे। 22 हजार बजट होता था। अब 1.23 लाख करोड़ बजट है। ये कर्ज माफी करके अपने आपको किसान का चैंपियन समझने लगे हैं। 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि के माध्यम से रुपए पहुंचाए हैं। उन्होंने कहा कि कभी कोई किसान सोच सकता था कि उसे पेंशन मिलेगी, उसे पेंशन मिलने लग गई। कभी किसी ने सोचा था कि उर्वरक की बोरी 2400 की बोरी 1200 में मिलने लगी। डेढ़ गुना एमएसपी मिलेगी।
खरीदी हुई है।  एमएसपी थी, है और रहेगी और हम एमएसपी पर खरीदारी जारी रखेंगे। यही नहीं, जेपी नड्डा ने कहा कि आप पेन बनाते हो तो उसे बेचने का अधिकार सब जगह है, लेकिन किसान फसल लगाता है तो वो फसल मंडी में ही बेच सकता है। ये 70 साल की पाबंदी है या छूट है। 11 दौर की बातचीत हुई। अभी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसको सस्पेंड करो, हमने सस्पेंड कर दिया। जब हम बात करने को तैयार हैं।  हम आपके प्रॉविजन को सस्पेंड करके बात करने को तैयार हैं।
आप घोड़े को पानी के पास तक ले जा सकते हैं, लेकिन उसे पानी पीने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। बीजेपी की इस तरीके से जमीन हिलाई नहीं जा सकती। जमीन पर भारत की जनता मुंह तोड़ जवाब देती है। उन्होंने कहा कि हम आज भी बातचीत के लिए तैयार हैं। आपकी कुर्सी चली गई, इसलिए आप हल्ला करना शुरू करो, तो ये पीड़ा निकल रही है। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों को किसान संगठन रद्द करने के लिए मांग कर रहे हैं जबकि सरकार इस मामले को बातचीत के जरिये सुलझाने के लिए कई दौर की बात कर चुकी है लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।

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