काबुल। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद कयास लगाए जा रहे थे आखिर तालिबान का मुखिया हैबतुल्लाह अखुंदजादा कहां हैं। कई बार उसके तालिबान सरकार में भी शामिल होने की खबरें उड़ी, लेकिन अब तालिबान ने हैबतुल्लाह अखुंदजादा के ‘राज’ को बेपर्दा कर दिया है। हालांकि भी कई बार उसके मारे जाने के भी कयास लगाए गए ,लेकिन तालिबान इस पर कभी खुलकर नहीं बोला।अब आतंकी संगठन ने हैबतुल्लाह अखुंदजादा के मारे जाने की पुष्टि की है। सवाल उठ रहे हैं आखिर उसकी मौत को क्यों छुपा के रखा। क्या दुनिया में उसकी दहशत कायम रखना चाहता था। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हैबतुल्लाह अखुंदजादा 2020 में पाकिस्तान समर्थित एक आतंकी हमले में मारा गया। वह 2016 से संगठन का मुखिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के सीनियर नेता आमिर-अल-मुमिनिन ने कहा कि हैबतुल्लाह अखुंदजादा पाक सेनाओं द्वारा समर्थित आत्मघाती हमले में ‘शहीद’ हो गया था। हैबतुल्लाह अखुंदजादा आज तक कभी भी लोगों के सामने नहीं आया और वह एक रहस्य ही बनकर रहा। न्यू यॉर्क पोस्ट के होली मैक काय के मुताबिक हैबतुल्लाह अखुंदजादा की इंटरनेट पर तस्वीर भी बरसों पुरानी है। अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी के बाद ऐसी उम्मीदें थीं कि अब अखुंदजादा सार्वजनिक रूप से सबके सामने आएगा, मगर काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद भी वह सामने नहीं आया तो ऐसे में अफवाहों का दौर शुरू हो गया।
मौत की अफवाहें तो तालिबान नेताओं के बीच भी चलने लगीं कि क्या सच में अखुंदजादा जिंदा नहीं है? दरअसल, अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद से ही सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि आखिर तालिबान का मुखिया अखुंदजादा कहां है। इससे पहले हैबतुल्लाह अखुंदजादा के गायब होने रहने पर कई तरह की अटकलें थीं। कोई मरने की बात कहता था तो कोई जेल में बंद करने की, मगर तालिबान ने चुप्पी साध रखी थी। मगर अब उसने कन्फर्म कर दिया है कि उसका सुप्रीम लीडर मारा जा चुका है। अखुंदजादा पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा समर्थित आत्मघाती हमले में मारा गया था।
गौरतलब है कि आतंकी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान पर दोबारा कब्ज़ा किया। इसके बाद से हैबतुल्लाह अखुंदजादा के सामने आने की खबरें उड़ती रही,लेकिन संगठन इसके बारे में बोलने के बजाय चुप्पी साध रखी थी। हैबतुल्लाह अखुंदजादा को संगठन का लीडर 2016 में नियुक्त किया गया जब इस संगठन का पूर्व नेता अख्तर मंसूर एक अमेरिकी हमले में मारा गया। इसके बाद संगठन ने हैबतुल्लाह अखुंदजादा को अपने नेता चुना। हैबतुल्लाह अखुंदजादा मंसूर का डिप्टी था। अधिकतर छुप कर रही रहता था।