नई दिल्ली। दो साल से दुनिया भर के लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। आज भी लोग इस महामारी से बचने के लिए कई तरह जतन कर रहे है। हालांकि कुछ समय से कोरोना के केसों लगातार गिरावट दर्ज की गई है। जिसकी वजह से लोग बाग अब अपने काम पर लौटे हैं। हर देशों में कोरोना रोधी टीका का को प्राथमिकता दी जा रही है और उसे लेने के लिए लोगों से अपील की जा रही है। इस बीच एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से भारतीयों की जिंदगी में दो साल की कमी आई है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन स्टडी के मुताबिक भारतीय पुरुषों की औसत जिंदगी पहले 69.5 हुआ करती थी, जो कोरोना काल के सन् 2020 में घटकर 67.5 साल रह गई है भारतीय महिलाओं की औसत जिंदगी 72 साल घटकर 69.8 साल पर आ गई है। मेडिकल भाषा में जिंदगी के औसतकाल को ‘जीवन प्रत्याशा’ कहते हैं, जिसका आशय जीवन के उस औसत काल से होता है जितने वक्त तक जीने की संभावना होती है। ऐसे में इस नई स्टडी में विभिन्न वय के जीवनकाल में आए बदलाव पर भी नजर डाली गई, तो पता चला कि 35 साल से 69 साल के उम्र में पुरुषों के मरने की दर सबसे ज्यादा थी।
विशेषज्ञों के अनुसार 2020 में कोविड की वजह से इस एजग्रुप में ज्यादा मौतें हुईं और उसकी वजह से जीवन प्रत्याशा में खासी गिरावट आई है ऐसे में आईआईपीएस की यह स्टडी देश में कोविड-19 से मृत्यु दर के पैटर्न में आए बदलाव को जानने के लिए की गई। आंकड़ों की भाषा में बात करें तो कोविड के चलते पिछले सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा मौतें हुई हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 से अबतक साढ़े चार लाख मौतें हो चुकी है। इस स्टडी में 145 देशों में हुई ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा कोविड इंडिया एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस पोर्टल के जरिए भी जीवन प्रत्याशा का विश्लेषण किया गया।